क्या कभी आप ने ग्रहों की परेड देखी है। आज शाम सूर्यास्त के बाद सोलर सिस्टम के ग्रह एक कतार में आकर परेड करेंगे। अंतरिक्ष में सभी 7 ग्रहों की परेड (Planet Parade 2025) बेहद दुर्लभ है। दावे किए जा रहे हैं कि यह खगोलीय घटना 396 अरब साल में एक बार होती है। इसे प्लैनेट परेड कहा जा रहा है जोकि एक खगोलीय घटना है, जिसमें हमारे सौरमंडल के ग्रह एक ही दिशा में या एक ही सीध (लाइन) में दिखते हैं। इसे अंग्रेजी में “Planetary Alignment” भी कहा जाता है।
इसका मतलब यह है कि जब सूर्य से अलग-अलग दूरी पर स्थित ग्रह एक सीध में आ जाते हैं, तो हमें ऐसा लगता है कि वे आसमान में एक साथ चमक रहे हैं। आसान भाषा में समझें तो सोलर सिस्टम में 8 ग्रह सूरज का चक्कर लगाते हैं। इनमें से एक पृथ्वी भी है। यह ग्रह हमेशा एक दूसरे से अलाइन होते हैं।
सोलर सिस्टम ऐसा ग्रुप नहीं है, जहां ग्रह इधर-उधर भाग रहे होते हैं। बल्कि सोलर सिस्टम एक ऑमलेट की तरह है। ग्रह इसके चारों ओर सर्किल शेप में चक्कर लगाते रहते हैं। हर एक ग्रह किसी दूसरे ग्रह से दूर होता है, इसलिए इन ग्रहों का चक्कर लगाने का समय भी अलग-अलग होता है। ऐसे में जब सभी ग्रह सूरज का चक्कर लगाते हुए एक सीधी लाइन में आ जाते हैं, तो उसे प्लैनेट परेड कहते हैं।
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प्लैनेट परेड कितने तरह की होते हैं-
पूर्ण प्लैनेट परेड (Full Alignment): जब सभी 8 ग्रह (बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेपच्यून और पृथ्वी) एक ही रेखा में नजर आते हैं। यह बेहद दुर्लभ घटना है।
आंशिक प्लैनेट परेड (Partial Alignment): जब इनमें से केवल कुछ ग्रह (जैसे 4-5 ग्रह) एक रेखा में नजर आते हैं। इसे देखना थोड़ा आसान होता है और यह अधिक बार होती है।
क्षैतिज प्लैनेट परेड (Horizontal Alignment): जब ग्रह क्षितिज के पास एक सीध में होते हैं।
कब तक देख सकते हैं इस परेड?
फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 8 मार्च को यह परेड खत्म हो जाएगी। इस आखिरी परेड में मंगल, बृहस्पति, शुक्र, यूरेनस, नेपच्यून और बुध ग्रह शामिल रहेंगे। इस दौरान आसमान में आधा चांद भी दिखाई देगा। जो इस अद्भुत नजारे को और खास बना देगा। आमतौर पर यह परेड कुछ दिनों तक चलती है, लेकिन इस बार यह 21 जनवरी से 8 मार्च तक चलेगी।
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क्या प्लैनेट परेड भारत में देखी जा सकेगी?
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस परेड को भारत में 21 जनवरी से 13 फरवरी तक देखा जा सकेगा। इस दौरान परेड में ग्रह बढ़ते-घटते रहेंगे। बेंगलुरु एस्ट्रोनॉमी क्लब के फाउंडर विजय कपूर का कहना है कि 21 जनवरी को शाम 7.30 बजे खासतौर पर इन ग्रहों का अद्भुत नजारा दिखेगा। इसे घरों की छत, ऊंची बिल्डिंग और किसी ऊंचे स्थान से भी देख सकते हैं।
शुक्र, शनि और नेपच्यून को कई जगहों पर रात 11.30 बजे तक देख सकते हैं। इसके बाद मंगल, बृहस्पति और यूरेनस देर रात तक दिखाई दे सकते हैं। हालांकि, मंगल सूर्योदय से ठीक पहले दिखना बंद हो जाएगा। इन ग्रहों की सही दिशा का पता लगाने के लिए फोन में स्टार वॉक, स्टेलेरियम और स्काई पोर्टल ऐप की मदद ले सकते हैं। साथ ही टेलिस्कोप की मदद से बृहस्पति के चारों चंद्रमाओं को भी देखा जा सकता है। ये आसमान में दक्षिण-पश्चिम की ओर दिखाई देगा।
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क्या प्लैनेट परेड को सामान्य आंखों से देखा जा सकता है?
हां। शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि ग्रहों को रात के अंधेरे में बिना टेलिस्कोप की मदद से सामान्य आंखों से देख सकते हैं। नेपच्यून और यूरेनस को देखने के लिए टेलिस्कोप की मदद लेनी पड़ेगी। इस बार प्लैनेट परेड के दौरान शुक्र ग्रह सबसे ज्यादा चमकता हुआ दिखेगा। वहीं, मंगल ग्रह दूर से देखने पर लाल रंग के बिंदु जैसा दिखेगा। इसके अलावा शनि धुंधले बिंदु जैसा और बृहस्पति ग्रह सफेद बिंदु की तरह दूर से दिखाई देगा। खास बात ये है कि सारे ग्रह एक साथ आसमान में नजर आएंगे। इन्हें आंखों से देखने में कोई समस्या नहीं होगी, क्योंकि ग्रहों से आने वाली रोशनी सूर्य की तरह तेज या हानिकारक नहीं होती।
क्या प्लैनेट परेड 396 अरब साल में एक बार होती है?
फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिवर्स को बने हुए 13.8 अरब साल हुए हैं। इसलिए ऐसा नहीं कहा जा सकता कि यह 396 अरब साल में एक बार होने वाली खगोलीय घटना है। 1997 में जीन मीयस की किताब ‘मैथमेटिकल एस्ट्रोनॉमी मोर्सल्स’ में ‘396 अरब साल’ का दावा किया गया था। जिसे पूरी तरह से गलत साबित कर दिया है, क्योंकि प्लैनेट परेड यूनिवर्स से पुरानी नहीं हो सकती है।
फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रहों का एक साथ आना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। न ही यह कोई अनियमित या अजीब घटना है। हालांकि, ये कई सालों में होने वाली एक दुर्लभ घटना जरूर है। इससे पहले यह घटना 28 अगस्त 2024 को सुबह 5.20 बजे हुई थी। जब बुध, मंगल, यूरेनस, नेपच्यून और शनि ग्रह एक सीधी लाइन में नजर आए थे। हालांकि, यह घटना केवल लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और यूरोप के कुछ हिस्सों में ही दिखाई दी थी। भारत में इसे रात में देखा गया था।
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