लाइफस्टाइल डेस्क: देश के कई राज्य इन दिनों डेंगू के बढ़ते प्रकोप से जूझ रहे हैं। चिंता की बात ये है कि इस बार डेंगू के नए स्ट्रेन ‘सीरोटाइप-2’ के मामले देखे जा रहे हैं। अमेरिकन जर्नल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजीन की रिसर्च की मानें तो डेंगू सीरोटाइप-2 बेहद गंभीर हो सकता है। ऐसे में मच्छरों से बचाव जरूरी है।
ऐसे में एक रिपोर्ट इन दिनों काफी चर्चा में है, जिसमें बताया गया है कि मच्छरों से निजात पाने के लिए आप तेज संगीत का इस्तेमाल कर सकते हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि मच्छरों को हाई फ्रीक्वेंसी वाली आवाज पसंद नहीं होती। ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से लाउड म्यूजिक पर मच्छर न तो अपनी संख्या बढ़ा पाते हैं और न ही काट पाते हैं।
क्या मच्छर सुन सकते हैं?
इस रिपोर्ट के चर्चा में आने के बाद सवाल उठने लगा है कि क्या मच्छर सुन सकते हैं? आपको बता दें, मच्छरों के सुनने की सीमा लगभग 2 हजार हर्ट्ज है। नर मच्छरों में सुनने की क्षमता ज्यादा होती है। लंबे समय तक मादा मच्छरों को बहरा माना जाता था, लेकिन 2006 में गैब्रिएला गिब्सन और इयान रसेल की “करंट बायोलॉजी” में प्रकाशित शोध में बताया गया कि मादा मच्छर भी सुन सकती हैं। मच्छर अपने सिर पर दो पंख वाले एंटीना से लैस होते हैं, जिनका इस्तेमाल वे सुनने के लिए करते हैं।
प्ले स्टोर में मौजूद है मच्छर भगाने के ऐप्स-
गूगल प्ले स्टोर पर कई एंटी मॉस्किटो रिपेलेंट ऐप्स अवेलबल हैं। मच्छरों को इन ऐप्स की हाई फ्रीक्वेंसी वाली आवाज बिल्कुल पसंद नहीं होती, इसलिए वे आवाज सुनकर पास तक नहीं फटकते। इन ऐप्स को ऑन करने पर 17 से 22 किलो हर्ट्ज की तरंगें निकलती हैं, जो मच्छरों और मक्खियों को भागने पर मजबूर कर देती हैं। ये तरंगें इंसानों को नहीं सुनाई देती हैं और खतरनाक भी नहीं होतीं। बड़े कमरे में मोबाइल फोन का स्पीकर ऑन कर सकते हैं।
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