Welcome 2025: पूरी दुनिया से क्यों अलग है चीन का NewYear? जानें नए साल का पूरा इतिहास

31 दिसंबर को घड़ी में रात के 12 बजते ही, पूरी दुनिया नए साल का स्वागत करती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि 1 जनवरी को ही साल की शुरुआत क्यों होती है?

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New year History: जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड जैसे देशों में नए साल का आगाज हो गया है। दुनिया के सबसे पूर्वी हिस्से में स्थित होने के कारण, न्यूजीलैंड में सबसे पहले नए साल का जश्न मनाया जाता है। न्यूजीलैंड में भारत से साढ़े 7 घंटे पहले, जबकि अमेरिका में साढ़े 9 घंटे बाद नया साल आता है। इस तरह पूरी दुनिया में नया साल आने की जर्नी 19 घंटों तक जारी रहती है।

जापान में परंपरा के मुताबिक नए साल पर बौद्ध मंदिरों में 108 बार घंटियां बजाई गईं। टोक्यो में चर्चित त्सुकिजी मंदिर के बाहर हजारों लोग जमा हुए। दुनियाभर में नए साल के जश्न की तस्वीरें भी आने लगी हैं।

ऑस्ट्रेलिया के सिडनी हार्बर में पारंपरिक आतिशबाजी देखने के लिए करीब 10 लाख लोग पहुंचे। वहीं, मेलबर्न में नए साल पर यारा नदी के किनारे जमकर आतिशबाजी हुई। न्यूजीलैंड का ऑकलैंड पहला प्रमुख शहर बना, जहां साल 2025 ने दस्तक दी।

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1 जनवरी को ही नए साल की शुरुआत क्यों होती है?
31 दिसंबर को घड़ी में रात के 12 बजते ही, पूरी दुनिया नए साल का स्वागत करती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि 1 जनवरी को ही साल की शुरुआत क्यों होती है? इसकी वजह रोम साम्राज्य के तानाशाह जूलियस सीजर को माना जाता है। दरअसल, कहा जाता है कि 2637 साल पहले यानी 673 ईसा पूर्व की बात है। रोम में नूमा पोंपिलस नाम का राजा हुआ करता था। उसने रोमन कैलेंडर में बदलाव करते हुए मार्च की जगह जनवरी से नया साल मनाने का फैसला किया। इससे पहले रोम में नए साल की शुरुआत 25 मार्च से होती थी।

नूमा पोंपिलस का तर्क था कि जनवरी महीने का नाम रोम में नई शुरुआत करने के देवता जानूस के नाम पर पड़ा है। वहीं, मार्च महीने का नाम रोम में युद्धों के देवता मार्स के नाम पर रखा गया है। इसीलिए नए साल की शुरुआत भी मार्च के बजाय जनवरी में होनी चाहिए। नूमा पोंपिलस के जारी कैलेंडर में एक साल में 310 दिन और सिर्फ 10 महीने होते थे। उस समय एक सप्ताह में 8 दिन थे। हालांकि 2175 साल पहले यानी 153 ईसा पूर्व तक जनवरी में नया साल मनाया जरूर जाता था, लेकिन इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई थी।

नूमा पोंपिलस के 607 साल बाद रोम में राजशाही को उखाड़ कर फेंक दिया गया। साम्राज्य का सारा दारोमदार रोमन रिपब्लिक के पास आ गया। कुछ साल सत्ता में रहने के बाद रिपब्लिक के नेता भ्रष्टाचारी होने लगे। रोम साम्राज्य में मची उथल-पुथल का फायदा उठा कर रोमन आर्मी के जनरल जूलियस सीजर ने सारी कमान अपने हाथों में ले ली।

इसके बाद उसने नेताओं को सबक सिखाना शुरू किया। दरअसल, रिपब्लिक के नेता ज्यादा वक्त तक सत्ता में रहने के लिए और चुनावों में धांधली के लिए कैलेंडर में अपनी मर्जी के मुताबिक बदलाव करने लगे थे। वो कैलेंडर में अपनी मर्जी से कभी दिनों को बढ़ा देते तो कभी कम कर देते थे। इसका समाधान निकालने के लिए जूलियस सीजर ने कैलेंडर ही बदल डाला। 46 ईसा पूर्व में रोम साम्राज्य के तानाशाह जूलियस सीजर ने एक नया कैलेंडर जारी किया।

जूलियस सीजर को खगोलविदों ने बताया कि पृथ्वी को सूर्य के चक्कर लगाने में 365 दिन और 6 घंटे लगते हैं। इसके बाद सीजर ने रोमन कैलेंडर को 310 दिन से बढ़ाकर 365 दिन कर दिया। साथ ही सीजर ने फरवरी के महीने को 29 दिन करने का फैसला किया, जिससे हर 4 साल में बढ़ने वाला एक दिन भी एडजस्ट हो सके। अगले साल यानी 45 ईसा पूर्व से 1 जनवरी के दिन नया साल मनाया जाने लगा।

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पूरी दुनिया से क्यों अलग है चीन का न्यू ईयर
चीन दुनिया के उन देशों में से एक है, जहां 1 जनवरी को नए साल का जश्न नहीं मनाया जाता। दरअसल, चीन उन देशों में से है जो सोलर कैलेंडर के बदले लूनीसोलर कैलेंडर के हिसाब से चलता है। लूनीसोलर कैलैंडर में 12 महीने होते हैं और हर महीने में चांद द्वारा पृथ्वी का एक चक्कर होने पर महीना पूरा माना जाता है। चांद, पृथ्वी का एक चक्कर 29 दिन और कुछ घंटों में पूरा करता है।

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चीन में 12वें महीने के 30वें दिन नए साल का जश्न मनाया जाता है। इसे चीन में दानियन संशी कहा जाता है। इस साल चीन में 29 जनवरी को नया साल मनाया जाएगा। इस दौरान लोग एक-दूसरे को लाल रंग के कार्ड देते हैं। इतना ही नहीं, इस दौरान पूर्वजों की पूजा और परिवार के साथ डिनर, ड्रैगन और लॉयन डांस का आयोजन भी किया जाता है। इस फेस्टिवल को चीन ही नहीं, वियतनाम, दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया और मंगोलिया जैसे बड़े देश भी अलग-अलग परंपराओं के साथ सेलिब्रेट करते हैं।

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