खुद भूखा रहकर हमे खिलाती है वो,
हर दुःख से हमे बचाती है वो,
बिन कहे सब समझ जाती है,
खुद से ज्यादा हमे चाहती है वो,
ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाती है वो,
ख्वाबो का एक रोशन सवेरा सजाती है वो,
उसकी डांट में भी छिपा होता है प्यार,
न जाने कैसे उसको छिपाती है वो,
चाहे हम भूल जाएँ उसको,
मगर कभी न हमको भुलाती है वो,
कोई आंच नहीं आने देती अपनी संतान पर,
साया बन कर साथ निभाती है वो,
खुद काँटों पर चलकर भी खुश रहती है,
हमारे पाँव में कांटे का दर्द भी न सह पाती है वो,
जितना बयाँ करूँ उसको कम पड़ जाएगा,
इसलिये तो खुदा कहलाती है वो।