लड़की हूँ मैं : फिर क्यों दुनिया में मेरी इज़्ज़त नहीं ?

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बहन हूँ मैं, बेटी हूँ

देश की पहचान हूँ मैं

माँ हूँ मैं पत्नी हूँ

परिवार का सम्मान हूँ मैं

शांति का प्रतीक हूँ प्रतिशोध का प्रतीक हूँ

फिर भी ममता का संदेश हूँ मैं

फिर क्यों दुनिया में मेरी इज़्ज़त नहीं

फिर क्यों कुछ लोग करते बेटे की चाह मेरी चाह नहीं

क्या कसूर हैं मेरा, क्यों इतना गम मिलता मुझे

देवी का रूप कहते, फिर क्यों न अपनाते मुझे

क्यों सबका प्यार न मिलता मुझे?

क्यों धिक्कार सहना पड़ता मुझे?

क्यों जुल्म की मार मुझे कहानी पड़ती?

क्यों एक लड़की हर वक़्त अपनी इन्साफ के लिए लड़ती?

क्या दुनियां में आना ही कसूर हैं मेरा?

क्या लड़की होना ही गुनाह हैं मेरा?

तो क्या बिन मेरे ये संसार रह जायेगा?

बिन मेरे न घर न संसार हैं

बिन मेरे अधूरा हर परिवार हैं

अगर आंच आयी मुझपर

ये धरती गगन न रह जायेगा

मिट गयी जो मैं अगर खुद खुदा मिट जाएगा।।

-Nidhi Chaurasia {moon_shadow_}