आँखों में फिर घूमा बीता जमाना
वो खुशहाल दुनिया,वो बचपन सुहाना।
मस्ती की शामें,वो बेफिक्र रातें
शतरंज की,लूडो कैरम की बातें।
वो साइकिल चलाने को नंबर लगाना
हवाओं में उड़ना,जग जीत जाना।
टिन शेड के नीचे झूलों की दुनिया
वो गुड़िया की शादी कराने की खुशियाँ।
वो गाजर के हलवे का घंटो मे पकना
हलवे को तकना,कही मन न लगना।
वो पल में झगड़ना,पल में मनाना
समोंसो के आते ही सब भूल जाना।
बचपन के साथी का,यूं ही बिछड़ना
वो रोना रुलाना,नजर न मिलाना।
कच्ची उमर का अधूरा तराना
गूँजा है फिर से वो बचपन का गाना।
रिया_प्रहेलिका
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