कूड़ेदान ही मेरी माँ है…
मेरे साथ के बच्चे कहते है कि मैं कूड़ेदान में मिली थी इसलिए कूड़े दान मेरी माँ और अनाथालय मेरा घर है।
ये शब्द सुन कर मानो लगा दुनिया वही रुक गयी है।
दिल थम सा गया।
कुछ पंक्तियाँ में यह लिखना चाहूंगी….
कूड़ेदान मेरी माँ, अनाथालय मेरा घर,
मेरे साथ के बच्चे मुझे कहते है ,
तू कूड़ेदान में मिली इसलिए वो तेरी माँ है।
जब जब भी मुझे मां की कमी महसूस हुई है।
मेरी तलाश कूड़ेदान से शुरू होकर अनाथालय पर खत्म हुई।
जब कोई मुझसे तेज आवाज में बातें करता था बहुत डरती थी मैं।
कूड़े दान में छुप छुप कर अपने दिन रातें गुजरती थी मैं।
कहीं तो तेरा स्पर्श महसूस होगा,
कहीं तो तेरी ममता का साया होगा।
पर अब मैं बड़ी हो गयी हूँ माँ, कूड़े दान और मां का फर्क समझ आया,
दुनिया ने तेरी रही मजबूरी का एहसास कराया।
पर मां मेरे मन में तो कोई छल ना था,
फिर क्यों तूने मेरा बचपन मिटा दिया।
तेरी ममता का एहसास जो उस कूड़े दान में ढूंढती थी,
मां समझ कर उस कूड़े दान से ही बातें करती थी।
ये तेरी ममता थी, तेरी विवशता, तेरा समर्पण , तेरा एहसास ही तो था,
जो उस कूड़े दान में भी मुझे मेरी माँ होने का एहसास कराता था।