History Of Senogal: 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन होना है। आज यानी बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, ‘नए संसद भवन में सेंगोल (राजदंड) को रखा जाएगा। इसका अर्थ होता है संपदा से संपन्न। जिस दिन संसद राष्ट्र को समर्पित होगी, उसी दिन तमिलनाडु से आए विद्वान सेंगोल पीएम को देंगे।
अब हर जगह ये चर्चा है कि आखिर ये सेंगोल चीज क्या है। गूगल पर भी सर्च करने पर कोई जानकारी नजर नहीं आयी लेकिन आप अगर जानना चाहते हैं कि सेंगोल क्या चीज है तो ये खबर आखिर तक जरुर पढ़ें।
अमित शाह के मुताबिक, सेंगोल का हमारे इतिहास में अलग स्थान है लेकिन आज तक हमें इससे दूर रखा गया। ‘इस सेंगोल का बहुत बड़ा महत्व है। पीएम मोदी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने इस बारे में और जानकारी मांगी। 14 अगस्त 1945 को 10:45 के आसपास नेहरू ने तमिलनाडु की जनता से इस सेंगोल को स्वीकार किया। यह अंग्रेजों से इस देश के लोगों के लिए सत्ता के हस्तांतरण का संकेत है।
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अमित शाह ने कहा, ‘सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि सेंगोल जिसको प्राप्त होता है उससे निष्पक्ष और न्यायपूर्ण शासन की उम्मीद की जाती है। आजादी के समय जब इसे नेहरू जी को सौंपा गया था, तब मीडिया ने इसे कवरेज दिया था। सेंगोल संस्कृत शब्द ‘संकु’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘शंख’। शंख हिंदू धर्म में एक पवित्र वस्तु थी, और इसे अक्सर संप्रभुता के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारतीय, विशेषकर तमिल संस्कृति में सेंगोल का बहुत महत्व है। उन्होंने कहा, ‘चोल राजवंश के समय से ही सेंगोल का महत्व रहा है। इस सेंगोल को नई संसद में रखा जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी इस संगोल को स्वीकार करेंगे और इसे स्पीकर की सीट के पास रखा जाएगा।’ अमित शाह ने बताया कि इसे अब तक इलाहाबाद संग्रहालय में रखा गया था।
गृह मंत्री अमित शाह ने सेंगोल के इतिहास का जिक्र करते हुए बताया कि लॉर्ड माउंट बेटन को हमारी परंपरा की जानकारी नहीं थी। उन्होंने जवाहर लाल नेहरू से पूछा कैसे किया जाए। नेहरू जी ने सी राजा गोपालचारी ((राजा जी) से मशविरा मांगा। फिर राजा जी ने पंडित नेहरू को इस सेंगोल की प्रक्रिया के बारे में बताया और तमिलनाडु से मंगाकर इस सेंगोल को उनको मध्य रात्रि में दिया गया।
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