मेरी क्या ही औक़ात लिखूं

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वो देश संभाले कांधो पर, संकट-मोचन के दूत लगे
शत्रु से साक्षात्कार करें ,मैं कागज पे संहार लिखूं?

सरहद पर सीना ताने, अंतिम सांस तलक भिड़ते
महफूज दीवारो में बैठी, मै क्या साहस की बात लिखूं?

प्राण लगे है दावं पर, वो बारूदो पर बैठे है
देश के पालनहारो में, कुर्सी वालों का नाम लिखूं?

रक्त बहे ,लाशें बिखरे, वो घायल जिस्म भी ढो लेते
जी-जान लुटाने वालो का,किन भावों में उपकार लिखूं?

मंदिर-मस्जिद-गुरूद्वारों के तमगों में इतना उलझे है
हिंदू-मुस्लिम की स्याही से,मजहब की क्या जात लिखूं?

आँगन छूटे, अपने छूटे ,वो देह छोड़ने को राजी
मै सोच विदाई डरती हूं, मेरी क्या ही औक़ात लिखूं?

रिया_प्रहेलिका

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