दिल्ली के मुख्यमंत्री आतिशी का सरकारी बंगला सियासी सुर्खियों (delhi cm residence controversy) में है। एक तरफ जहां विपक्षी भारतीय जनता पार्टी मुख्यमंत्री के सरकारी बंगले को शीशमहल की उपाधि दे रहा है। दोनों पार्टियों के बीच अब ‘AAP के शीशमहल’ और ‘भाजपा के राजमहल’ को लेकर विवाद जारी है।
भाजपा का आरोप है कि केजरीवाल ने CM हाउस रेनोवेट कराने में घोटाला किया। टेंडर ₹8 करोड़ का था, पेमेंट 4 गुना ज्यादा किया। जवाब में AAP ने PM आवास को 2700 करोड़ का राजमहल बताया है। AAP सांसद संजय सिंह और मंत्री सौरभ भारद्वाज बुधवार को मीडिया को लेकर CM हाउस दिखाने पहुंचे। हालांकि पुलिस ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। संजय सिंह की पुलिस के साथ बहस भी हुई।
दिल्ली में यह पहली बार नहीं है, जब सरकारी बंगले को लेकर सियासत हो रही है। पिछले 32 साल में दिल्ली में ऐसे 6 मौके आ चुके हैं, जब बंगला विवाद सुर्खियों में रहा।
1. बंगला न होने से पूर्व पीएम नंदा रोड पर आ गए
जवाहर लाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री के निधन के बाद देश के 2 बार कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने गुलजारी लाल नंदा बंगला न मिलने की वजह से सड़क पर आ गए। दरअसल, 1977 में कांग्रेस की करारी हार के बाद नंदा का राजनीतिक से मोहभंग हो गया। 1978 में उन्होंने कांग्रेस से दूरी बना ली। हालांकि, 1980 में कांग्रेस की फिर से सरकार बन गई, लेकिन पूर्व पीएम होने के नाते नंदा को कोई सरकारी बंगला नहीं मिला। नंदा दिल्ली में इसके बाद किराए पर रहने चले गए, लेकिन 1993 में किराया न दे पाने की वजह से उन्हें मकान मालिक ने घर से निकाल दिया।
नंदा इसके बाद सभी सामान के साथ सड़कों पर आ गए। इसकी खबर जैसे ही दिल्ली के पत्रकारों को मिली, वैसे ही सियासी धमाका हो गया। उस वक्त अखबारों में पूर्व प्रधानमंत्री के साथ हुए इस घटना की खबर फ्रंटपेज पर छपी। कांग्रेस के नरसिम्हा राव भारत के प्रधानमंत्री थे। किरकिरी होता देख राव ने नंदा को एक आवास ऑफर किया, लेकिन नंदा ने उसे लेने से इनकार कर दिया। नंदा इसके बाद कोलकाता अपनी बेटी के पास चले गए।
2. पासवान परिवार से छिना 12 जनपथ
2021 में लोजपा में बगावत की वजह से चिराग पासवान मंत्री नहीं बन पाए, जिसके बाद साल 2022 में केंद्र की आवास कमेटी ने पासवान परिवार से लुटियंस दिल्ली स्थित 12 जनपथ बंगले खाली करने को कहा। यह बंगला 90 के दशक में रामविलास पासवान को मिला था। 2009 में लोकसभा चुनाव हार गए पासवान राज्यसभा जाकर इस बंगला को बचाने में कामयाब हो गए थे। हालांकि, 2022 में चिराग इस बंगले को नहीं बचा पाए। उस वक्त दलित नेता रामविलास को लेकर खूब खबरें छपी। बंगला खाली कराते वक्त रामविलास की तस्वीर भी खूब सुर्खियों में रही। पासवान की एक तस्वीर सड़क के नीचे गिर गई थी। इस घटना के 2 साल बाद चिराग केंद्र में तो मंत्री बन गए, लेकिन उन्हें 12 जनपथ का बंगला नहीं मिल पाया।
3. शरद यादव को भी खाली करना पड़ा बंगला
वीपी सिंह और अटल बिहारी सरकार में मंत्री रहे शरद यादव को भी दिल्ली में अपना सरकारी बंगला छोड़ना पड़ा। उस वक्त भी बंगले को लेकर खूब सियासत हुई। शरद यादव देश के बड़े समाजवादी नेता थे, लेकिन 2018 में राज्यसभा की सदस्यता जाने के बाद आवास विभाग ने उन्हें बंगला खाली का नोटिस दे दिया। शरद ने अपने बयान में कहा कि मेरे पास दिल्ली में कोई घर नहीं है। ऐसे में कहा जाऊंगा? हालांकि, उनकी यह दलील काम नहीं आई। मई 2022 में शरद यादव को अपना सरकारी बंगला खाली करना पड़ा।
4. प्रियंका और राहुल के बंगले पर भी सियासत
2019 में एसपीजी के नियमों में बदलाव के बाद कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी को लुटियंस दिल्ली से बंगला खाली का नोटिस मिला. 2020 में प्रियंका ने बंगला खाली कर दिया। प्रियंका के बंगले को लेकर खूब सियासत हुई। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे लोगों से बंगला खाली नहीं करवा रही है, लेकिन प्रियंका से बंगला खाली करवा लिया गया।
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2023 में सांसदी रद्द होने के बाद राहुल गांधी का भी बंगला खाली करवा लिया गया। राहुल को बतौर सांसद 12-तुगलक लेन का बंगला मिला हुआ था। दिल्ली में उस वक्त भी बंगले पर खूब सियासत हुई। राहुल इसके बाद अपने मां के 10 जनपथ स्थित बंगले में चले गए।
इतना ही नहीं, 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार करने के बाद सोनिया गांधी राज्यसभा चली गईं. उस वक्त भी दिल्ली के 10 जनपथ बंगले की खूब चर्चा हुई। कहा गया कि 10 जनपथ बंगले को बचाने के लिए ही सोनिया राज्यसभा गई हैं।
5. कोर्ट पहुंच गए सुब्रमण्यम स्वामी
2016 से 2022 तक के लिए सांसद मनोनीत हुए सुब्रमण्यम स्वामी 2022 में बंगला खाली करने को लेकर मिले नोटिस के बाद कोर्ट पहुंच गए। दिल्ली हाई कोर्ट में स्वामी ने याचिका दाखिल कर कहा कि मेरे निजी आवास सुरक्षित नहीं है, लेकिन इसके बावजूद मुझसे सरकारी बंगला खाली कराया जा रहा।
स्वामी की याचिका पर हाई कोर्ट में जोरदार बहस हुई। केंद्र का कहना था कि जितनी सुरक्षा स्वामी को दी गई है, उसे निजी आवास पर भी मैंटेन किया जा सकता है हालांकि, बाद में हाई कोर्ट ने स्वामी से आवास खाली करने को कहा. स्वामी इसके बाद फिर से दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गए।
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