जब मोदी गले मिलते हैं तो क्यों उड़ने लगते हैं चीन-पाकिस्तान के तोते….

रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि सीमा पर छोटे स्तर का भी सैन्य तनाव होता है, तो भारत में चीन के लोगों और कंपनियों पर हिंसक हमला हो सकता है।

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नई दिल्ली: पीएम मोदी ने जब से प्रधानमंत्री का पद संभाला तब से विपक्ष की तो हवा टाईट है ही लेकिन मोदी की विदेश यात्रा से दो पड़ोसी देश के भी तोते कुछ उड़े हुए है। जब भी मोदी विदेश यात्रा पर निकलते हैं पाकिस्तानी और चीनी मीडिया में मिर्ची से लग जाती है। दरअसल, इन दिनों मोदी इजराइल में है। पहली बार भारत के किसी प्रधानमंत्री ने इजराइल की धरती पर कदम रखा है।

यही वजह है कि इजराइल बनने के 70 साल बाद पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा को यादगार बनाने के लिए इसे किसी राष्ट्रीय उत्सव सी शक्ल दी है। लेकिन इस तरह का मान-सम्मान देखकर ना जाने क्यों चीन और पाकिस्तान के कलेजे से धुंआ निकलने लगा तभी देखिए किस तरह पाकिस्तानी अखबारों ने भारत और इजराइल के बीच लगातार मजबूत होते रिश्तों पर चिंता जाहिर की है। साथ ही कहा है कि भारत के इस आक्रामक कदम को रोकने की जरूरत है।

इनका मानना है कि भारत और इजराइल के बीच रक्षा समझौते पाकिस्तान के खिलाफ हैं। पाकिस्तान के तमाम न्यूज चैनल, अंग्रेजी और ऊर्दू अखबारों ने कहा कि भारत ने अरब क्षेत्र को लेकर अपनी रणनीति बदल दी है। लिहाजा पीएम मोदी ने फिलिस्तीन से दूरी बना रहे हैं और इजराइल का दौरा कर रहे हैं। वहीं, अभी तक पाकिस्तान ने इजराइल को मान्यता नहीं दी है।

इजराइल से पाक-चीन को एलर्जी क्यों – 

हम पहले बात इजराइल की ही कर लेते हैं। दरअसल, इजरायल कई मायनों में चीन और पाकिस्तान से बेहतर ना हो लेकिन इजरायल साइंस और टेक्नॉलोजी की दुनिया में बहुत आगे है। इजरायल चीन की सिक्योरिटी तोड़ने का भी दम रखता है, बल्कि चीन को खुद के घर में घुसने से रोकने की भी काबिलियत रखता है। इसलिए चीन, इजरायल से दस कदम दूरी पर ही रहता है।

इसके अलावा इजरायल पाकिस्तान का नाम खुलकर लेने से घबराता नहीं है। पाकिस्तान के तो तोते उस वक्त ही उड़ गए थे। जब पीएम मोदी पहली बार नेपाल दौरे पर गए। दूसरी और चीन को भारत का अमेरिका दौरा रास नहीं आया। तभी हाल ही में चीनी दूतावास में राजनीतिक काउंसलर ली या ने भारतीय सैनिकों पर सिक्किम सेक्टर में भारत-चीन सीमा क्रॉस करने का आरोप लगाया है। या ने कहा कि भारतीयों ने चीनी सैनिकों को उकसाने वाली कार्रवाई की है।

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या ने कहा कि सिक्किम सेक्शन चीन और ग्रेट ब्रिटेन के बीच 1890 में हुए तिब्बत और सिक्किम कन्वेंशन का अहम भाग है और भारतीय सैनिकों ने चीनी संप्रभुता का उल्लंघन किया है। इस बीच भारत ने चीन से भूटान से अपनी सेना हटाने को कहा है। दूसरी ओर चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा पर दोबारा बातचीत करने की पेशकश की है। हालांकि सीमा पर दोनों देशों के बीच तनाव जारी है।

मोदी-ट्रंप की मुलाकात पर चीन की चेतावनी –

चीन की सरकारी मीडिया ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने कहा है कि भारत अमेरिका के साथ मिलकर चीन के मुकाबले में खड़े होने की कोशिश कर रहा है जो ठीक नहीं है। चीन की सरकारी समाचारपत्र में छपे लेख के अनुसार, ‘चीन के बढ़ते प्रभाव से अमेरिका और भारत चिंतित हैं। हाल के दिनों में चीन के प्रभाव को रोकने के लिए वॉशिंगटन ने भारत के साथ अपने संबंध में सुधार किया है।’ अखबार ने लिखा है, ‘चीन के खिलाफ मोर्चा बनाना भारत के लिए हित में नहीं है। इसका ‘विनाशकारी परिणाम’ हो सकता है।’ लेख में जिक्र किया गया है कि भारत अपनी गुटनिरपेक्ष नीति को त्याग करते हुए चीन से मुकाबला करने के लिए अमेरिका के तरफ झुक रहा है। अखबार का कहना है कि भारत के इस नीति से दक्षिण एशिया में नई दुविधा की स्थिति पैदा हो जाएगी।

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चीन ने भारत में चीनी निवेशकों को सतर्क रहने की दी सलाह-

चीन के एक सरकारी अखबार ने भारत में परिचालन कर रही चीन की कंपनियों को सतर्क रहने को कहा है। ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच चीन की कंपनियों को वहां चीन विरोधी भावना से निपटने के कदम उठाने चाहिए। अखबार में 2104 में वियतनाम में चीन विरोधी भावना का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि भारत में भी चीन के हितों पर हमला हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि सीमा पर छोटे स्तर का भी सैन्य तनाव होता है, तो भारत में चीन के लोगों और कंपनियों पर हिंसक हमला हो सकता है।

ये तमाम किस्से हाल ही में कि गई मोदी की विदेश यात्रा से जुड़े है। इससे एक बात तो तय है कि मोदी के अंतरराष्ट्रीय दौरे ने पाक और चीन के तोते से उड़ा दिए है। खैर मोदी की इन धुंआधार यात्राओं से भारत को क्या हासिल होगा क्या नहीं ये देखना अभी बाकी है।

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