भारत देश की पहचान में “अनेकता में एकता” का बोध समाहित है, विभिन्न संस्कृतियों तथा बोलियों वाले देश में जो हमें सामाजिक तौर पर एकजुट करता है वो है – मानवता और सौहार्द लेकिन पिछले कुछ सालों से देश के हालात सामाजिक दृष्टिकोण से बद्दतर होते जा रहे है। बढ़ते बलात्कार और यौन शोषण के मामलों से प्रत्येक व्यक्ति के मन में दहशत घर कर गयी है। यही नहीं जो भ्रष्टाचार किसी समय सरकारी दफ्तरों में मिलता था आज उसने अपनी जड़ें निजी दफ़्तरों तक फैला गई है। बाल मजदूरी देश के भविष्य को कमजोर करती नज़र आ रही है तो बेरोजगारी मानसिक अवसाद में बदल रही है। गरीबों के लिए अनेकों कल्याणकारी योजनायें होने के बावजूद उनके उत्थान का रास्ता अभी और सरल व साफ़ होता नहीं दिखाई देता है।
विभिन्न सामाजिक माध्यमों में युवा काव्य सृजनकारों का एक समूह जो सदैव अपनी हिंदी व अंग्रेजी रचनाओं के माध्यम से क्रांति लाने का दमखम रखता है तथा अपने लेखन से वो ना सिर्फ़ इन कुरीतियों कि भर्त्सना करते है बल्क़ि समाज को खोखला करते इन दीमकों को मिटाने का उपचार भी बताते है।
मेरे (श्रीमती पूनम तनेजा जी ) द्वारा भारत देश के लगभग हर राज्य से इन्हीं युवा रचनाकारों को एक साथ लाने का कार्य “BOUNDED एहसास” में किया गया है। हमें बेहद गर्व है कि विदेशों में बसे भारतीय भी अपनी लेखनी द्वारा भारतीय समाज में व्याप्त इन सभी बुराइयों के उन्मूलन के लिए अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं, जिसकी एक बानगी आपको इसी पुस्तक में देखने को मिलेगी।
प्रस्तुत पुस्तक “BOUNDED एहसास” महज़ काव्य रचनाकारों की रचनाओं का संकलन नहीं है अपितु यह एक ऐसा ग्रंथ है जो हमारे अन्तः करण में मानवीय गुणों का संचार करने के लिए जाना जायेगा। पुस्तक में आपको हिंदी व अंग्रेजी में सामाजिक सरोकारों से ओत-प्रोत रचनाएँ पढ़ने को प्राप्त होगी, यह पुस्तक प्रत्येक लेखक व पाठक के लिए वरदान स्वरुप कार्य करेगी जिन्होंने अब तक अपने हृदय में कुछ द्वन्द करते एहसासों को बांध के रखा था। जी हाँ, एहसास। दिल के घरौंदे में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड समेटे भावनाओं की एक दुनिया, जो मूक पर बहुत शोर मचाती हुयी सी, पूरी पर अधूरी सी, आकुल हो साँस लेती रहती है, जीवन की प्रतीक्षा में।
हाँ, सत्य ही! जब तक इन्हें लफ्ज़ों का साथ नहीं मिलता, कई अर्थ जो जीवित होकर भी मृत पड़े थे भीतर कहीं, सहसा लफ्ज़ों के साथ से चहकने, बहकने, हँसने, रोने और न जाने क्या-क्या करने लगते हैं, नाना अर्थों को छुपाये भावनाओं की यही प्रतीक– “एहसास” है।
इन एहसासों को ख़ूबसूरत लफ्ज़ों में पिरोने की कला तो ऊपरवाले ने शायरों, कवियों, रचनाकारों को ही दी है। जैसी अनुभूति एक रचनाकार का हृदय करता है, वैसी ही रचना का जन्म होता है, प्रस्तुत पुस्तिका की रचना का आधार भी यही है। आप पुस्तक में शामिल प्रत्येक युवा व होनहार रचनाकारों द्वारा विभिन्न वास्तविक हालातों पर अनुभूत किये उनके एहसासों से अपने एहसासों को जुड़ा हुआ पायेंगे, ऐसा हमारा विश्वास है।
मैं इस अनूठी पहल को अपने साथी रचनाकारों के साथ लेकर आप सबके समक्ष उपस्थित हूँ। यद्यपि प्रकाशन के क्षेत्र में यह मेरा पहला संस्करण है तथापि हमें उम्मीद है कि यह पुस्तक देश-विदेश में मौजूद हर पाठक के दिल में अपना स्थान बनाने में कामयाब होगी।
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-पूनम तनेजा
(झिलमिल सितारे)
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