पुस्तक: रात, चांद और उन्स
प्रकाशक: श्रीजा पब्लिकेशन
पेज- 112
मूल्य- 250 रुपये
पुस्तक समीक्षा:
दिल्ली के श्रीजा पब्लिकेशन से पुस्तक रात, चांद और उन्स समीक्षा के लिए आई है। यह एक काव्य संग्रह है। इसमें 20 लेखकों की एक से बढ़कर बेहतरीन रचनाएं हैं। कविता अपने ख्यालात अपने जज्बात को पेश करने का सबसे बेहतरीन जरिया है। ऐसा आपको ये काव्य संग्रह पढ़ने के बाद महसूस जरुर होगा।
इस काव्य संग्रह में जिंदगी के बहुत से रंग है, जैसे कि- जहरीले रिश्ते, मैं और तुम, गीत, क्या कीजे, मैं सम्पूर्ण हूं, शाम का कम्बल, पूनम का चांद, रात का अंतिम पहर आदि ऐसी रचनाएं है जिनमें लेखक को अच्छे से मालूम है कि उन्हें अपनी भावनाओं को किन शब्दों में पिरोना है ताकि पाठक उनसे जुड़ा महसूस करें।
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निधि सहगल, मणिमाला चटर्ची ने अपनी रचनाओं को चिंतन, सरल और खूबसूरत तरीकों से पेश किया है। पुस्तक नाम जितना सूफियाना रखा गया है इसका आवरण और आकर्षित बनाया जा सकता था। जो इसे अपने नाम के अनुसार आकर्षित करता। कुल मिलकार अगर आप काव्य प्रेमी है तो आपको एकबार रात, चांद और उन्स जरुर पढ़ना चाहिए। यह एक अच्छा कविता संग्रह है।
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