Maharashtra Election: महाराष्ट्र चुनावों में ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का कितना फायदा उठा पाएगी बीजेपी?

भाजपा को मिली चुनावी जीत का मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि हर बार धार्मिक ध्रुवीकरण काम करेगा। महाराष्ट्र की राजनीति की बात करें तो यहां आरक्षण बड़ा मुद्दा है।

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जल्द ही कई राज्यों में विधानसभा चुनाव (Maharashtra Election) होने वाले हैं ऐसे में महाराष्ट्र पर सबकी नजर बनी हुई हैं। पिछले दिनों में हुए विधानसभा चुनावों में एक नारा काफी चर्चा में रहा। ये नारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ हैं। जिसके चर्चे हरियाणा चुनाव से है।

अब ये नारा महाराष्ट्र ((Maharashtra Election) )के चुनावों में सुनाई दे रहा है। कुछ दिन पहले मुंबई और ठाणे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की फोटो के साथ ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के संदेश वाले होर्डिंग्स देखे गए थे। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या योगी और उनका नारा हरियाणा के बाद महाराष्ट्र में भी सफल हो पाएगा?

बीजेपी की नजर में क्या मतलब है ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे का?
‘बंटेंगे तो कटेंगे’ राजनीतिक प्रयोग के लिए शुरु किया है। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी महाराष्ट्र में नंबर वन पार्टी थी। उस वक्त बीजेपी ने सबसे ज्यादा सीटें जीतीं लेकिन धीरे-धीरे ये सफलता असफलता में तब्दील होने लगी। इसके चलते अब बीजेपी ने हर विधानसभा के लिए नई रणनीति बनाई है।

अब महाराष्ट्र में योगी आदित्यनाथ की कई संभाए होने वाली है। वहीं”योगी आदित्यनाथ के मुंबई और महाराष्ट्र में कई प्रशंसक हैं। ऐसे में हिंदू समर्थक बीजेपी ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ योगी के हरियाणा वाला फॉर्मूला महाराष्ट्र में रणनीति के तौर पर अपनाई है। हरियाणा चुनाव में “योगी आदित्यनाथ ने नारा दिया था कि अलग-अलग जातियों में बंटने की बजाय हिंदू बनकर एक साथ रहो।

चुनावों में कितना असर देखने को मिलेगा?
लोकसभा चुनाव में मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण हुआ, लेकिन हिंदू वोटों का नहीं, इसलिए चुनाव में जिहाद और बंटेंगे तो कटेंगे जैसे नारे दिये जाते हैं। अगस्त में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगरा की एक सभा में बांग्लादेश के हालात पर टिप्पणी करते हुए कहा था, ”एक राष्ट्र से बड़ा कुछ नहीं हो सकता। कोई राष्ट्र तभी मजबूत रह सकता है जब हम एकजुट और धर्मनिष्ठ रहेंगे। बंटेंगे तो कटेंगे।” एकजुट रहें, ईमानदार रहें, सुरक्षित रहें।

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महाराष्ट्र में धार्मिक ध्रुवीकरण का कितना होगा असर?
भाजपा को मिली चुनावी जीत का मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि हर बार धार्मिक ध्रुवीकरण काम करेगा। महाराष्ट्र की राजनीति की बात करें तो यहां आरक्षण बड़ा मुद्दा है। जैसा कि मराठों और आदिवासियों का आरक्षण मुद्दा। “इसलिए महाराष्ट्र में धार्मिक ध्रुवीकरण सफल नहीं हो पा रहा है। योगी आदित्यनाथ एक हिंदू आइकन के रूप में महाराष्ट्र में लाया जा रहा है। अब इसका असर कैसा होगा ये आने वाले चुनावी नतीजें तय करेंगे।

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