इससे पहले 18 सितंबर को इसरो ने बताया था कि आदित्य L1 ने साइंटिफिक डेटा कलेक्ट करना शुरू कर दिया है। स्पेसक्राफ्ट पर लगे सुप्रा थर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर यानी STEPS इंस्ट्रूमेंट को 10 सिंतबर को पृथ्वी से 50,000 किलोमीटर दूर एक्टिवेट किया गया था। डेटा की मदद से सूर्य पर उठने वाले तूफान और अंतरिक्ष के मौसम के बारे में जानकारी मिलेगी।
STEPS इंस्ट्रूमेंट आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट यानी ASPEX पेलोड का हिस्सा है। STEPS में छह सेंसर लगे हैं। हर एक सेंसर अलग-अलग दिशाओं में निरीक्षण करता है और 1 MeV से अधिक के इलेक्ट्रॉनों के अलावा, 20 keV/न्यूक्लियॉन से लेकर 5 MeV/न्यूक्लियॉन तक के सुप्रा-थर्मल और एनर्जेटिक आयन्स को मापता है।
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लैगरेंज पॉइंट-1 (L1) क्या है?
लैगरेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया है। इसे बोलचाल में L1 नाम से जाना जाता है। ऐसे पांच पॉइंट धरती और सूर्य के बीच हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बन जाती है।
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ऐसे में इस जगह पर अगर किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाता है तो वह आसानी उस पॉइंट के चारो तरफ चक्कर लगाना शुरू कर देता है। पहला लैगरेंज पॉइंट धरती और सूर्य के बीच 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता।
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