प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के समर्थन में भाषण दिया। 1:35 घंटे की स्पीच में उन्होंने नाम लिए बिना गांधी परिवार, केजरीवाल और विपक्ष के नेताओं के आरोपों के जवाब दिए। इस बीच उन्होंने एक किताब का नाम लिया।
उन्होंने कहा, यहां विदेश नीति की भी चर्चा हुई, कुछ लोगों को लगता है कि जब तक फॉरेन पॉलिसी न बोलें, तब तक मेच्योर नहीं लगेंगे। ऐसे लोगों से कहना चाहता हूं कि अगर सच में इस सब्जेक्ट में रुचि है और उसे समझना है, आगे जाकर कुछ करना है। मैं ऐसे लोगों से कहूंगा कि एक किताब जरूर पढ़ें, तब कब कहां क्या बोलना है समझ आ जाएगी।
जेएफके की फॉरगेटन क्राइसेस किताब है। इसे प्रसिद्ध फॉरेन पॉलिसी स्कॉलर ने लिखी, अहम घटनाओं का जिक्र किया है। इसमें पहले पीएम नेहरू और अमेरिका के राष्ट्रपति जॉनएफ केनेडी के बीच की चर्चाओं का जिक्र है। जब देश चुनौतियों का सामना कर रहा था, तब विदेश नीति के नाम पर खेल हो रहा था। जरा ये किताब पढ़िए। पीएम मोदी ने इस किताब को पढ़ने की सलाह राहुल गांधी को दी है लेकिन आज हम आपको बताते हैं कि अगर इस किताब को पढ़ा जाए तो भारत को क्या-क्या सीखने को मिल सकता है। चलिए आपको विस्तार से बताते हैं-
1. संकटों में विवेकपूर्ण नेतृत्व (Pragmatic Leadership in Crisis): जॉन एफ. केनेडी ने कई अंतरराष्ट्रीय संकटों का सामना किया, जैसे क्यूबा मिसाइल संकट और बर्लिन संकट। उन्होंने हमेशा शांत और विवेकपूर्ण निर्णय लिए। भारत को भी यह सीखनी चाहिए कि संकटों के समय में त्वरित लेकिन सोच-समझकर लिए गए निर्णय ही सफलता दिला सकते हैं।
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2. कूटनीति और संवाद (Diplomacy and Communication): केनेडी ने हमेशा खुले संवाद और कूटनीतिक दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी। भारत को यह सीखना चाहिए कि कूटनीति और संवाद से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सुधार लाया जा सकता है, खासकर जब वैश्विक तनाव बढ़ रहे हों।
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3. वैश्विक दृष्टिकोण (Global Perspective): केनेडी ने अपनी नीतियों में वैश्विक दृष्टिकोण अपनाया, खासकर अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया के संदर्भ में। भारत को भी अपनी विदेश नीति में इन क्षेत्रों की प्रगति और संघर्षों को ध्यान में रखते हुए समग्र दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
Foreign Policy में रूचि है और Foreign Policy को समझना है और आगे जाकर कुछ करना भी है, तो मैं ऐसे लोगों को कहूंगा कि एक किताब जरूर पढ़ें।
किताब का नाम है- JFK’S FORGOTTEN CRISIS. इस किताब में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू और अमेरिका के तब के राष्ट्रपति John F. Kennedy… pic.twitter.com/cG6Y5SGCPa
— MyGov Hindi (@MyGovHindi) February 4, 2025
4. परमाणु कूटनीति (Nuclear Diplomacy): पुस्तक में परमाणु हथियारों के प्रसार पर केनेडी की चिंताएँ और प्रयासों का वर्णन किया गया है। भारत को यह समझना चाहिए कि परमाणु नीति में संयम और वैश्विक सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी का पालन करना आवश्यक है।
5. आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का संतुलन (Balancing Internal and External Challenges): केनेडी ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के बीच संतुलन बनाया। भारत को यह सीखना चाहिए कि अपनी आंतरिक समस्याओं के साथ-साथ वैश्विक राजनीति को भी समझना और संतुलित दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है।
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6. भविष्य के लिए योजना बनाना (Planning for the Future): केनेडी के नेतृत्व में अमेरिकी नीति हमेशा दीर्घकालिक दृष्टिकोण पर आधारित थी। भारत को भी अपने राष्ट्रीय हितों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को देखते हुए दीर्घकालिक रणनीतियों पर काम करना चाहिए।
7. साझेदारी और सहयोग (Partnership and Collaboration): केनेडी ने अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों को महत्व दिया, जैसे कि अमेरिका और सोवियत संघ के बीच क्यूबा मिसाइल संकट के दौरान संवाद की कोशिशें। भारत को भी वैश्विक सहयोग और साझेदारियों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
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