क्रांतिकारी बारहठ बंधुओं को माल्यार्पण कर किया नमन

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संवाददाता भीलवाड़ा। शौर्य दिवस के अवसर पर छात्रसंघ अध्यक्ष सुमित पारीक के नेतृत्व में त्रिमूर्ति स्मारक पर बारहठ परिवार के केसरी सिंह जी बारहठ, जोरावर सिंह जी बारहठ, प्रताप सिंह जी बारहठ को माल्यार्पण कर नमन किया । सुमित पारीक ने बताया कि ब्रिटिश सरकार ने भारत की राजधानी कोलकाता से हटाकर दिल्ली लाने का निर्णय किया। इस अवसर पर 23 दिसंबर 1912 को भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड हार्डिंग ने दिल्ली में प्रवेश करने के लिए एक शानदार जुलूस का आयोजन किया उधर रासबिहारी बोस ने हार्डिंग को मारने की एक साहसी योजना बनाई उन्होंने यह जिम्मेदारी राजस्थान की जोरावर सिंह एवं प्रताप सिंह बारहठ को दी । जोरावर सिंह व प्रताप सिंह चांदनी चौक स्थित पंजाब नेशनल बैंक की इमारत पर पहुंच गए जब वायसराय जुलूस में हाथी पर सवार होकर वहां से गुजर रहा था तो उन्होंने उस पर बम फेंका हार्डिंग के सिर पर जख्म आए पर वह बच गया परंतु उसका छत्रधारी अंगरक्षक महावीर सिंह घटनास्थल पर ही मर गया क्रांतिकारियों ने सारा कार्य इस सफाई से किया कि भारत सरकार अभियुक्तों का सुराग तक नहीं लगा सकी ।
भारत सरकार द्वारा प्रताप सिंह जी बारहठ को बनारस कांड के संदर्भ में गिरफ्तार किया गया । भारत सरकार ने राज उगलवाने के लिए ने कहा कि तुम्हारी मां बहुत रोती है, प्रताप ने जवाब दिया कि में अपनी माँ को चुप कराने के लिए हजारों माँ ओ को नहीं रुला सकता। वीर की मुक्ति समरभूमि में होती है । कुँवर प्रतापसिंह बारठ भारतीय इतिहास गगन-पटल पर चमकने वाला एक ऐसा उज्ज्वल नक्षत्र है, जिसने अपने कर्म से न सिर्फ अपने परिवार को, न सिर्फ अपने समाज और जाति को, न केवल राजस्थान को बल्कि पूरे भारत-वर्ष को गौरवान्वित किया था । आज इस अवसर पर हम नमन करते हैं व संकल्प लेते हैं कि हम उनके आदर्शों पर चलने का प्रयास करेंगे । इस अवसर पर हाल आलेश सुवालका, सांवर कुमावत, विष्णु गुर्जर, सुरेश तेली, परमेश्वर कुमावत मौजूद रहे ।

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