31 मई के दिन को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप हर साल की तरह इस साल भी मनाया जाएगा। इस दिन तंबाकू सेवन करने वाले लोगों को विशेष रूप से इसे छोड़ने की सलाह दी जाती है लेकिन ऐसे लोगों की संख्या अभी भी कम है जिन्होंने तंबाकू का सेवन पूरी तरह छोड़ दिया हो। इसका सेवन करने वाले सभी लोग जानते हैं कि ये कितना जानलेवा है। इसके बावजूद लोग इसे छोड़ना नहीं चाहते।
भारत में 60 प्रतिशत से अधिक तंबाकू का सेवन करने वाले लोग ये जानते हैं कि इससे कैंसर, दिल का दौरा, स्ट्रोक, आस्थमा इत्यादि रोग हो सकते हैं फिर भी तंबाकू की लत नहीं छोड़ते। हर साल कई सर्वे आते हैं जिनमें कई चौकानें वाले खुलासे किए जाते हैं लेकिन न जानें लोगों में अपने स्वास्थ्य को लेकर इतनी लापरवाही क्यों रहती है।
ऐसा कहा जाता है कि एक सिगरेट पीने से जिंदगी के 11 मिनट कम हो जाते हैं। इसके अलावा एक सिगरेट में 4,000 ऐसे केमिकल्स होते हैं जिससे कैंसर फैलता है। दुनिया में हर सेकंड में एक मौत तंबाकू सेवन के कारण होती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल करीब 10 लाख लोगों की मौत तंबाकू सेवन के कारण होती है और इस आंकड़े को 2020 तक 20 लाख पहुंच जाने की संभावना है।
इस सूची में पुरूष जहां अव्वल श्रेणी में है वहीं महिलाएं भी पीछे नहीं है। ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे 2016-17 में खुलासा किया गया है कि 29.6 प्रतिशत पुरुष, 12.8 प्रतिशत महिला और 21.4 प्रतिशत वयस्क वर्तमान में धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं। हालांकि इस रिपोर्ट में कई पॉजिटिव आकंड़े भी सामने आए थे लेकिन वास्तविक स्थिति को देखा जाए तो आज भी इस नशे का आदी युवा बड़ी तेजी के साथ बनता जा रहा। इसमें उन लोगों की संख्या ज्यादा है जो बेरोजगार है।
भारत के लिए आंकड़े हैं बेहद चिंताजनक
– 34.6 प्रतिशत वयस्क धूम्रपान करते हैं (जिनमें 47.9 प्रतिशत पुरुष और 20.3 प्रतिशत महिलाएं हैं)
-14 प्रतिशत वयस्क धुंआ-युक्त तंबाकू का सेवन करते हैं (जिनमें 24.3 प्रतिशत पुरुष और 2.9 प्रतिशत महिलाएं हैं)
– 25.9 प्रतिशत वयस्क धुंआ-रहित तंबाकू का सेवन करते हैं (जिनमें 32.9 प्रतिशत पुरूष और 18.4 प्रतिशत महिलाएं हैं)।
– धूम्रपान करने वाले पुरुषों की संख्या 1998 में 7.9 लाख से बढ़कर 2015 में 10.8 लाख हो गई है।
यहां अलग-अलग आकंड़े इसलिए बताएं गए है कि तंबाकू का सेवन चाहे धुंआयुक्त किया जाएगा या धुंआरहित इससे कई बीमारी होने की संभावने होती है। तंबाकू के धुएं में हजारों किस्म के रसायन होते हैं जिनमें से कम से कम 70 कैंसरकारी हैं। कैंसर पैदा करने वाले इन रसायनों को कार्सिनोजेन कहा जाता है। तंबाकू के धुंए में पाए जाने वाले ऐसे कुछ रसायनों में हाइड्रोजन सायनायड, फॉर्मेल्हीडाइड, लेड, आर्सनिक, बेंज़ीन, एमोनिया तथा रेडियोधर्मी तत्व शामिल हैं। तंबाकू में मौजूद रसायन निकोटिन लत डालने वाला होता है और इसकी वजह से ही लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। यह तंबाकू के धुंए में मौजूद सबसे ज्यादा खतरनाक रसायनों में से एक है। पुरुषों में अधिकांश या लगभग आधे कैंसर फेफड़े और मुंह के होते हैं जबकि महिलाओं में स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर सबसे आम हैं। फेफड़ों के कैंसर की दर 1,00,000 लोगों में 11 है। जबकि मुह कैंसर की दर 10.1 है। उधर, महिलाओं में स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की दर 1,00,000 में क्रमश: 25.8 तथा 22.0 है।
तंबाकू शरीर के साथ जीडीपी पर डालता है प्रभाव-
ब्रिक्स के सर्वे के मुताबिक, वर्ष 2012 तक तम्बाकू जनित उत्पादों के सेवन से न केवल देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है, बल्कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी गिरावट दर्ज की गई है। कैंसर के उपचार पर हुए भारी भरकम खर्च की वजह से 2012 में हमारी आर्थिक विकास दर 0.36 फीसदी प्रभावित हुई थी।
भारत सरकार के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015 के अनुसार
जिन 13 राज्यों में यह सर्वे करवाया गया उनमें 2006-06 में पुरुषों में तंबाकू सेवन 50 प्रतिशत से घटकर 2015 में 47 फीसदी रह गया है। इस रिपोर्ट में शामिल 13 में से कम से कम 11 राज्यों ने 2005-06 से 2015-16 के दौरान आंकड़ों में गिरावट दर्ज की है।
– सिक्किम में भी तंबाकू सेवन में 20 प्रतिशत तक कमी आयी है। जिन दो राज्यों में तंबाकू सेवन में वृद्धि दर्ज की गई वे हैं मणिपुर और मेघालय है।
– हरियाणा में तंबाकू का प्रसार 32 प्रतिशत है और साल 2015 में राज्य में धूम्रपान करने वाले लोगों की संख्या करीब 32 लाख थी।
– धूम्रपान की लत छोड़ने के उदाहरण आम नहीं हैं क्योंकि 45 से 59 वर्ष की आयुवर्ग के करीब 5 फीसदी पुरुष ही ऐसे हैं, जो पूर्व में धूम्रपान किया करते थे।
सबसे ज्यादा नुकसानदायक तंबाकू सेवन या धूम्रपान ?
धूम्र-रहित तंबाकू पदार्थों का सेवन सिगरेट के मुकाबले कम घातक होता है। औसतन, इनकी वजह से सिगरेट सेवन की तुलना में कम लोगों की मौते होती हैं। धूम्ररहित उत्पादों को धूम्रपान के कम जोखिमकारी विकल्प के तौर पर प्रचारित किया जाता है, लेकिन ये भी कैंसरकारी होते हैं। खासतौर से मुंह के कैंसर तथा अन्य कई घातक कैंसर की वजह बन सकते हैं।
ये देश हैं शामिल
जानकारी के अनुसार, विश्व में सर्वाधिक तंबाकू का सेवन करने वाले देशों में बांग्लादेश, चीन, मिस्त्र, भारत, मैक्सिको, फिलीपींस, पोलैंड, रूस, थाईलैंड, तुर्की, यूक्रेन, उरुग्वे और वियतनाम शामिल हैं। इन 13 देशों में जो लोग तंबाकू का सेवन नहीं करते हैं, उनके बारे में भी बताया गया है। इसके मुताबिक मिस्त्र ऐसा देश है, जहां 75.8 फीसदी लोग तंबाकू उत्पादों का सेवन नहीं करते हैं, जबकि इस सूची में भारत की स्थिति 62.4 ही बताई गई है।
तंबाकू से होने वाली बीमारियां
तंबाकू चबाने से मुंह का कैंसर, खाने की नली, सांस की नली और जननांग का कैंसर होता है। धूम्रपान करने से मुंह का कैंसर, खाने और सां स की नली का कैंसर, फेफड़े, लैरिंक्स, पेट, पित्त की थैली और पेशाब की थैली का कैंसर होता है। हृदय रोग जैसे ब्लड प्रेशर बढ़ना और हार्ट अटैक। सांस का रोग जैसे क्रॉनिक ओबस्ट्रक्टिव पॉलमोनरी डिजीज। यही नहीं, स्मोकिंग से टीबी होने का खतरा भी चार गुना बढ़ जाता है। गर्भपात, बच्चों में विकृतियां और महिलाओं में अनियंत्रित माहवारी। धूम्रपान करने वाले लोगों में सेक्स संबंधी समस्या भी होती है। अकसर देखा गया है कि लोग तनाव को दूर करने के लिए तंबाकू का सेवन करते हैं लेकिन हकीकत इससे अलग है। तंबाकू का सेवन करने वाला व्यक्ति तनाव से ग्रस्त होता है।
तंबाकू छोड़ने के बाद शरीर में परिवर्तन-
इस ऑर्टिकल को पढ़ने के बाद आप भी तंबाकू को छोड़ना चाहते हैं, तो यहां उन चीजों के बारें बताया गया है जो आपके शरीर में शुरूवाती दिनों में कुछ अजीब सा परिवर्तन महसूस करवा सकती है।
ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है
तंबाकू या सिगरेट छोड़ने के 20 मिनट बाद ही आपका ब्लड प्रेशर और पल्स रेट सामान्य होने लगता है। जब आप तंबाकू का सेवन कर रहे होते हैं तो ब्लड प्रेशर ज्यादा व कम होता रहता है और लगातार इसका आदी होने पर आप नियमित रूप से ब्लड प्रेशर के मरीज बन जाते हैं।
ऑक्सीजन दर भी स्थिर रहती है
सिगरेट या तंबाकू छोड़ने के आठ घंटे बाद आपके शरीर में कार्बन मोनोऑक्साइड की दर निष्प्रभावी होती जाती है।
हार्ट अटैक और दिल की बीमारियों का खतरा कम
तंबाकू व सिगरेट का सेवन रोकने से हार्ट अटैक का खतरा भी कम हो जाता है। यद्यपि जब आप किसी चीज के लिए परेशान महसूस कर रहे होते हैं तो आपका शरीर उस वक्त डी-टॉक्सिफाई कर रहा होता है।
तंत्रिका तंत्र को दोबारा विकसित करता है
तंबाकू का ज्यादा सेवन करने से आपके सेंस ठीक तरह से काम करना बंद कर देते हैं। इसको छोड़ने से तंत्रिका तंत्र को विकसित करने में मदद करने मिलती है और साथ ही आपके स्वाद और सूंघने की इन्द्रियों में सुधार होता है।
लॉन्ग वाक पर आसानी से जा सकते हैं
तंबाकू छोड़ने के दो से तीन हफ्ते बाद फेफड़े सक्रिय हो जाते हैं और उनके काम करने की शक्ति में 30 फीसदी इजाफा होता है। इससे शरीर में रक्त संचरण ठीक होता है और आप लंबी वॉक पर आराम से जा सकते हैं।
फेफड़ों में इंफेक्शन का खतरा कम
तंबाकू छोड़ने के एक से नौ महीने बाद खांसी, सांस की कमी और साइनस में आराम मिलता है और आप स्वयं को ऊर्जावान महसूस करते हैं। फेफड़ों की सफाई होती है और इंफेक्शन का खतरा कम होता है।
सिगरेट की लत छोड़ने के लिए उपाय-
किसी भी चीज को बिल्कुल से छोड़ने पर शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं, खासकर जब आप लंबे समय से उसका सेवन कर रहे हों तो, इसलिए डॉक्टर की सलाह जरूरी है। इसके अलावा कुछ जरूरी बातें-
-सिगरेट से शरीर पर होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी जुटाएं।
-किसी करीबी का सहयोग भी ले सकते हैं, जो इस दौरान आपकी इच्छाशक्ति को बनाए रखने में सहायक हों।
-जिन्होंने इस लत को छोड़ा है, उनके साथ रहें, उनसे बातें करें।
-अपने डॉक्टर से खुलकर उन सभी तरीकों के बारे में बात करें , जो मदद कर सकते हैं।
-अपने पसंदीदा कामों में खुद को व्यस्त रखें। नियमित व्यायाम करें। प्रकृति के बीच समय बिताएं।
-सिगरेट की लत छोड़ने के लिए किसी और नशे का सहारा न लें।
-भोजन में फल व ताज़ी हरी सब्जियों की मात्रा बढ़ा दें। पानी खूब पिएं।
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