संवाददाता भीलवाड़ा। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना मखौल बनकर रह गई है। कोई कितना भी शिकायत करे पदाधिकारी की नींद खुलने वाली नहीं है, इसलिए संवेदक मजदूरों से काम कराने के बदले जेसीबी मशीन और ट्रैक्टर का प्रयोग करवा रहे हैं। यह योजना सरकार द्वारा मूल रूप से गरीब मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के साथ गांव एवं पंचायत के विकास के लिए शुरू की है। योजना का मुख्य उद्देश्य गरीब मजदूरों का दूसरे राज्यों में हो रहे पलायन को रोकना है लेकिन संवेदक की मनमानी एवं पदाधिकारियों की लापरवाही के कारण संवेदक एवं मेठ द्वारा फर्जी मजदूर का खाता नंबर डालकर विभाग की आंख में धूल झोंककर राशि की निकासी कर मशीन के सहारे काम करवाया जा रहा है।
लांबिया खुर्द निवासी रवि जाट ने बताया कि ग्राम पंचायत लाम्बियाँ खुर्द में जवासिया बांध पर नरेगा द्वारा कार्य चल रहा हैं नरेगा मस्टरोल में मेरा नाम भी फर्जी तरीखे से लिख रखा है 16 जुलाई को नरेगा कार्य स्थल पर जेसीबी मशीन द्वारा ट्रेक्टरो में मिट्टी भरकर कर नरेगा कार्य स्थल पर ड़लवाई जा रही थी इस का मेने विरोध किया तो मेट द्वारा मेरे साथ धक्का मुक्की और गाली गलोच की गई और मेरे साथ अभद्र वयवहार किया गया मेनें इस घटना के फोटो भी खींचे ओर मोके से ग्राम विकास अधिकारी को इसकी सूचना भी दी लेकिन ग्राम विकास अधिकारी ने इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की वही नरेगा में कार्य करने वाले प्रत्येक मजदुर से जेसीबी चलाने के नाम से प्रति व्यक्ति 200 रुपये वशुले जाते हैं और जो मजदुर मांगी गई राशि नही दे पाते नहीं उनको डरा धमकाया जाता हैं की आपका नाम नरेगा से काट दिया जायेगा
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