स्वयं सहायता समूह की महिलाएं होली के लिए बना रही हैं प्राकृतिक गुलाल

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शाहपुरा होली का त्योहार रंगों का त्यौहार कहा जाता है जिसमें सभी लोग एक दूसरे को गुलाल लगाकर त्योहार की बधाई देते हैं आज के समय में बाजार में कई तरह के हानिकारक केमिकल्स से बने गुलाल और कलर बाजार में आ रहे हैं जिसकी वजह से लोगों को कई तरह की स्किन प्रॉब्लम सांस की दिक्कत और यहां तक की कैंसर का खतरा भी होता है | इसी समस्या को देखते हुए नाबार्ड एवं ग्रीन वर्ल्ड फाउंडेशन ने जलेंद्रि, दल सिंह जी का खेड़ा, माल का खेड़ा( भीलवाड़ा) में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को पलाश के फूलों , चुकंदर, रिजका की पतियों , गेंदे के फूलों, हल्दी आदि से प्राकृतिक गुलाल बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है जिसके तहत महिलाएं तीन-चार तरह की गुलाल बना रही है इसी होली पर इनकी बिक्री का कार्य शुरू हो जाएगा।

इन चीजों से बने हुए कलर त्वचा के लिए, बालों के लिए अच्छे होते हैं एवं शरीर को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचते ग्रीन वर्ल्ड फाउंडेशन के सेक्रेटरी इंद्र राज ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन जिला कलेक्टर आर एस शेखावत शाहपुरा द्वारा किया गया था यह 20 दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम है जिसमें प्राकृतिक गुलाल के साथ-साथ पलाश के पत्तों से पाताल एवं दोने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा एवं उनके प्रोडक्ट को मार्केट में बेचने के प्रयास भी करेंगे एवं दो साल तक हम इनको सपोर्ट करेंगे. बाबूलाल सैनी, सुमन यादव ( कान्हा) मोनिका यादव,उषा यादव,पंकज इस ट्रेनिंग प्रोग्राम को सुचारू रूप से चला रहे हैं।

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