हवन यज्ञ में आहुति डालकर क्षेत्र की सुख स्मृद्धि की कामना की

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हनुमानगढ़। कलियुग में श्रीमद् भागवत कथा सुनने मात्र से ही मनुष्य का कल्याण हो जाता है। भागवत कथा ज्ञान का वह भंडार है जिसके वाचन और सुनने से वातावरण में शुद्धि तो आती ही है, साथ ही मन और मस्तिष्क भी स्वच्छ हो जाता है। यह बात सोमवार को टाउन के दशहरा मैदान में चल रही 100 कुण्डीय गणेश पंचातन महायज्ञ में ऋषि जी महाराज वृद्धांवन वाले ने कही। सुबह यजमानों ने संकल्प लेकर 100 कुडीय यज्ञ की शुरूवात की, जिसमें संतों ने हवन यज्ञ में आहुति डालकर क्षेत्र की सुख स्मृद्धि की कामना की। कथा का वाचन करते हुए ऋषि जी महाराज वृद्धांवन वाले ने कहा कि भागवत कथा से घर और समाज में पवित्रता बनती है, जो सुख शांति का आधार है। कथा के ज्ञान को अपने जीवन में धारण करना चाहिए ताकि जीवन सफल हो सके।

भक्त के अंदर जब भावना जागृत होती है, तब प्रभु के आने में देरी नहीं होती। प्रभु तो भाव के भूखे हैं, श्रद्धा भाव से समर्पित होकर उनकी उपासना करोगे तो वह अवश्य ही कृपा करेंगे। ऋषि जी महाराज वृद्धांवन वाले ने बताया कि भागवत का उद्देश्य लौकिक कामना का अंत करना और प्राणी को प्रभु साधना में लगाना है। संत चलते-फिरते तीर्थ होते हैं जो संसार के प्राणियों को दिशा देने उन्हें सदमार्ग दिखाने आते हैं। भागवत कथा को जीवन में अपनाने उसके अनुसार स्वयं को ढालने से ही प्राणी अपना कल्याण कर सकता है। इसके श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं। कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है । कथा कल्पवृक्ष के समान है। इससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है। कथा के पश्चात शाम को महाआरती हुई, जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

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