नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन थम नहीं रहा है। आंदोलन कर रहे लोगों पर पुलिस की गोलीबारी में चार मौतें हो चुकी हैं। इसके बाद गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने आंदोलन और तेज कर दिया है। खबरों के मुताबिक केंद्र सरकार ने मसले का हल निकालने के लिए राज्य सरकार को त्रिपक्षीय बातचीत का प्रस्ताव दिया था। लेकिन इस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंजूरी नहीं दी। इसके बाद यह प्रस्ताव अनिश्चितकाल के लिए ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
दार्जिलिंग में हिंसा की स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी इस मामले में दखल दी है। राजनाथ सिंह ने प्रदर्शनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक त्रिपक्षीय बातचीत में केंद्र सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और जीजेएम के प्रतिनिधियों को शामिल करने का प्रस्ताव था। यह बातचीत सोमवार 19 जून को प्रस्तावित थी। लेकिन ममता बनर्जी के राज़ी न होने से इसे टाल दिया गया है।
सूत्र बताते हैं कि इस सिलसिले में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री बनर्जी से पिछले 48 घंटे में दो बार बात कर चुके हैं। इस बीच सोमवार की सुबह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नीदरलैंड के दौरे पर निकल गई हैं। उन्होंने यात्रा पर जाने से पहले कहा कि उनके मंत्री दार्जिलिंग के हालात पर नजर रखे हुए हैं।
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दार्जिलिंग में हालात पर काबू करने के लिए ममता बनर्जी ने 22 जून को सिलीगुड़ी में सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है। हालांकि ममता इस बैठक में मौजूद नहीं रहेंगी। उनकी अनुपस्थिति में सरकार की तरफ से वरिष्ठ मंत्री और अफसर इस बातचीत में हिस्सा लेंगे।
22 जून को ममता हेग में संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा आयोजित पब्लिक सर्विस डे को संबोधित करेंगी। ऐसा करने वाली वे देश की पहली मुख्यमंत्री होंगी। ममता का यह दौरा पहले से निर्धारित था। लेकिन दार्जिलिंग के बेकाबू हालात को देखते हुए उनके इस दौरे पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
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क्या है पूरा मामला?
ताजा विवाद की शुरुआत पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में बंगाली भाषा की पढ़ाई को अनिवार्य किए जाने के विरोध में शुरू हुआ। जीजेएम का आरोप के पश्चिम बंगाल की ममता सरकार नेपाली भाषा बहुल पहाड़ी इलाकों पर जबरन बंगाली भाषा को थोप रही है। इसके विरोध में जीजेएम ने 12 जून से दार्जिलिंग में अनिश्चितकालीन बंद बुलाया हुआ है।
दूसरी तरफ ममता बनर्जी का कहना है कि उनकी सरकार सिर्फ त्रिभाषा फॉर्मूला को लागू कर रही है। ममता बनर्जी का यह भी कहना है कि उनकी सरकार ने सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए को आधिकारिक भाषाओं में शामिल किया है।
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