क्या फर्जी लेखक ने लिखी PM मोदी की ‘मन की बात’ पर किताब, अरुण शौरी के दावे ने पैदा किया विवाद

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नई दिल्ली: बीती रात मीडिया चैनल एनडीटीवी के एक कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि पीएम मोदी की मन की बात पर आधारित किताब एक दम झूठी है। अरुण शौरी ने एनडीटीवी से कहा कि राजेश जैन का मन की बात पर किताब से कोई लेना-देना नहीं है। शौरी ने कहा, राजेश जैन मेरे मित्र हैं। उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें (पुस्तक विमोचन) कार्यक्रम में घसीटा गया, एक लिखी हुई स्पीच दे दी गई जिसे पढ़ना था।

जब इस मामले पर राजेश जैन से सवाल-जवाब किए गए तो उन्होंने पूर्व मंत्री के दावे को सही बताया। उन्होंने कहा कि मैं मन की बात किताब का लेखन नहीं किया था और लेखक के तौर पर अपना नाम देखकर आश्चर्यचकित था। जैन ने चैनल के कार्यक्रम में बताया कि वे ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन संस्ता के साथ काम कर रहे थे। यह संस्था किताब के विमोचन के वक्त पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम का आयोजन कर रही थी। लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि किताब से उनका कोई लेना-देना नहीं है।

जैन ने बताया कि मुझे पीएमओ की ओर से कार्यक्रम में आने के लिए कहा गया। वहां पर मैंने देखा कि कार्ड में लेखक के तौर पर मेरा नाम लिखा हुआ था। कार्यक्रम में मैंने साफ कर दिया था कि मैं किताब का लेखक नहीं हूं। इसके बावजूद पीएम मोदी की साइट narendramodi.in और पीआईबी की साइट पर मेरा नाम लेखक के तौर पर लिखा हुआ है।

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दरअसल ये पूरा मामला बीते साल का है। जब पीआईबी की 25 मई को जारी एक प्रेस रिलीज ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित के खास समारोह की जानकारी दी। इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति की मौजूदगी में दो किताबों के विमोचन की बात बताई गई।  इसमें एक किताब- राजेश जैन की ‘मन की बात: रेडियो पर एक सामाजिक क्रांति’ (मन की बात: अ सोशल रिवोल्यूशन ऑन रेडियो) थी।

वहीं कार्यक्रम में रिलीज की गई दूसरी किताब पत्रकार उदय माहुरकार द्वारा लिखी गई थी। इसका नाम मार्चिंग विद अ बिलियन: अनालाइजिंग नरेंद्र मोदीज गवर्नमेंट इन मिड टर्म है। किताब को पीएम नरेंद्र मोदी के रेडियो पर आने वाले मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ की विवेचना के तौर पर दर्शाया गया। राजेश जैन पीएम मोदी के पूर्व सहयोगी हैं।पीआईबी की वेबसाइट पर इस किताब से संबंधित तीन प्रेस रिलीज हैं, और तीनों विज्ञप्ति में लेखक के नाम पर रहस्य बना हुआ है।

– 25 मई 2017 को पीआईबी की ओर से जारी पहली प्रेस रिलीज में ‘राजेश जैन की लिखी किताब…’ लिखा गया है। अगले दिन जारी की गई प्रेस रिलीज में किताब को श्री राजेश जैन की लिखी किताब बताया गया है। फिर उसी दिन शाम को जारी तीसरी प्रेस रिलीज के मुताबिक किताब को मि. राजेश जैन ने संकलित किया है।

-ये प्रेस रिलीज इस पंक्ति के साथ पूरी होती है कि दोनों किताबों (माहूरकर की किताब भी) को ‘ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन’ और ‘लेक्सिसनेक्सिस’ ने खरीद लिया है।

-दूसरी ओर ई-टेलर वेबसाइट अमेजन पर मौजूद ‘मन की बात: अ सोशल रेवोल्यूशन’ के कवर पेज पर लेखक का नाम नहीं है। कवर के निचले हिस्से में ‘ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन’ और ‘लेक्सिसनेक्सिस’ अंकित है।

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