क्या है USAID फंडिंग विवाद? BJP ने कांग्रेस पर लगाए गंभीर आरोप, जानिए पूरा मामला

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अमेरिकी विदेशी सहायता एजेंसी USAID की फंडिंग को लेकर देश में सियासी घमासान मचा हुआ है।  एलन मस्क के नेतृत्व वाला सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) लगातार यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) को लेकर बड़ा खुलासा कर रहा है। दावा किया गया है कि भारतीय चुनाव को प्रभावित करने के लिए USAID द्वारा फंडिंग की जा रही थी। वहीं आरोप ये भी है कि इस एजेंसी ने भारत में जातीय और राजनीतिक विभाजन को बढ़ावा देने के लिए कई संगठनों को फंडिंग दी। हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें

ये खबर बाहर आते ही भारत में सियासी जंग तेज हो गई है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमित मालवीय ने कहा कि मतदाताओं के लिए 21 मिलियन डॉलर? यह निश्चित तौर पर भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप है। इससे किसे लाभ होगा? निश्चित रूप से सत्तारूढ़ दल को नहीं! अमित मालवीय ने कहा कि 2012 में एसवाई कुरैशी के नेतृत्व में भारत निर्वाचन आयोग ने इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था। यह संगठन जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से जुड़ा है। इसे यूएसएड वित्त पोषित करता है। हमा

USAID की ओर से अभी तक इन आरोपों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि उनकी एजेंसी केवल विकास कार्यों के लिए फंडिंग करती है और किसी भी देश की राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करती। वहीं, भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इस मामले की जांच में जुट गई हैं। यह देखा जा रहा है कि क्या USAID का धन वास्तव में उन संगठनों तक पहुंचा, जो भारत की संप्रभुता और स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं।

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मानव इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार संजीव सान्याल ने भारत को दी जाने वाली इस फंडिंग पर सवाल उठाए। उन्होंने यूएसएड को मानव इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला कहा। सान्याल ने पूछा कि भारत में मतदान प्रतिशत सुधारने के लिए खर्च किए गए 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर और बांग्लादेश में राजनीतिक माहौल को मजबूत करने के लिए 29 मिलियन अमेरिकी डॉलर किसे मिले? उन्होंने कहा कि नेपाल में राजकोषीय संघवाद पर खर्च किए गए 29 मिलियन अमेरिकी डॉलर का तो जिक्र ही न करें।

BJP सांसदों ने क्या कहा?

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में USAID पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह एजेंसी अग्निवीर योजना के खिलाफ आंदोलन को आर्थिक सहायता दे रही थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि USAID ने जातिगत जनगणना और नक्सली गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए धन दिया। हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें

भाजपा नेता महेश जेठमलानी ने भी USAID के खातों की जांच की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि इस एजेंसी के माध्यम से भारत में 21 मिलियन डॉलर (लगभग 175 करोड़ रुपये) का अनुदान दिया गया, जिसका उपयोग मतदाता डेटा प्रोजेक्ट्स और राजनीतिक गतिविधियों में किया गया।

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USAID पर लगे प्रमुख आरोप:

  1. राजनीतिक हस्तक्षेप – भारत की आंतरिक राजनीति को प्रभावित करने के लिए वित्तीय सहायता।
  2. अग्निवीर योजना के खिलाफ प्रदर्शन – युवाओं को भड़काने के लिए आर्थिक मदद।
  3. जातिगत जनगणना का समर्थन – समाज में जातीय ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने के लिए सहायता।
  4. नक्सलवादी संगठनों को फंडिंग – उग्रवादियों और कट्टरपंथी समूहों को धन उपलब्ध कराना।
  5. सोशल मीडिया सेंसरशिप – अमेरिका की ओर से भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर दबाव बनाना।

एलन मस्क के दक्षता विभाग के खुलासे से साफ है कि भारतीय चुनाव में अमेरिका अपने धनबल से दखल देता था। इतनी बड़ी रकम किसे दी जाती थी… यह अब भी रहस्य है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अमेरिकी फंडिंग को भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी दखल करार दिया। हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें

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