नई दिल्ली: हाल ही में खादी के कैलेंडर पर महात्मा गांधी की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर प्रकाशित करने को लेकर हुए विवाद के बाद अब पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कैलेंडर को लेकर विवाद गर्मा गया है। दरअसल सीएम ममता उस वक्त सुर्खियों में जब पश्चिम बंगाल अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने ममता बनर्जी की तस्वीर के साथ लाखों कैलेंडर प्रकाशित किए।
इस पर मुसलमानों का कहना है कि ऐसे कैलेंडर को वो अपने घरों, मस्जिदों या मदरसों में नहीं लगा सकते हैं। क्योंकि इस्लाम में जीवित चीजों की तस्वीर लगाने की इजाजत नहीं है। इनसे बचा जाना चाहिए।” मिली जानकारी के मुताबिक राज्य के इस विभाग ने अपने कैलेंडर में पहली बार किसी की तस्वीर को प्रकाशित किया है। इससे पहले के संस्करणों में दफ़्तरों या आलिया विश्वविद्यालय की तस्वीरों का इस्तेमाल होता रहा है।
वहीं सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का कहना है कि उसे इस बारे में किसी से कोई शिकायत नहीं मिली है।कारपोरेशन के चेयरमैन और तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुल्तान अहमद कहते हैं, “ये कैलेंडर सभी जगह बांटे जा रहे हैं। किसी ने सवाल नहीं उठाया है। हमारा विभाग सभी अल्पसंख्यकों के लिए है, सिर्फ़ मुसलमानों के लिए नहीं। हम सभी धर्मों के अल्पसंख्यकों के लिए काम करते हैं।”
बता दें कोलकाता के दो जाने-माने इमामों ने इन तर्कों को नकारते हुए कहा है कि सरकारी संस्थाओं के पास मुख्यमंत्री की तस्वीर प्रकाशित करने के अधिकार हैं। लेकिन अगर कोई इन्हें घर पर नहीं रखना चाहता है तो वो ऐसा करने के लिए भी स्वतंत्र हैं।
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