कोलकता: पश्चिमी बंगाल के मौली गांव के 14 बच्चों ने मानव तस्करी को रोकने की मुहिम चलाई है। इस नाबालिक गैंग की लीडर है तनुजा खातुन जोकि खुद भी 17साल की है। बता दें तनुजा की पूरी टीम को तस्करों के खिलाफ जंग लड़ने के लिए ममता सरकार की तरफ से पुरस्कार भी दिया जा चुका है।
हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक तनुजा ने बताया कि उसने और उसकी टीम ने गांव में करीब 30 ऐसे मामलों को सुलझाया है। तस्करों से लड़ने के लिए इन बच्चों के ग्रुप को सरकार द्वारा एक एनजीओ सेव द चिल्ड्रेन तैयार किया है। यह ग्रुप वेस्ट बंगाल सरकार के चाइल्ड प्रोटेक्शन स्कीम से भी जुड़ा हुआ है। वहीं दक्षिण 24 परगना के 35 गांवों को चाइल्ड लेबर जैसी समस्या से मुक्त किया जा चुका है।
उन्होंने ने बताया कि हाल ही में हमें एक व्यक्ति मिला जिसपर हमें शक था कि वह चाइल्ड ट्रैफिकर हो सकता है। हमने उससे सवाल किए तो वह हमारे सवालों का जवाब नहीं दे पाया। इसके बाद मैंने उससे कहा कि मैं उसके पैर को तोड़कर उसे कांटेदार झाड़ियों के ऊपर लटकाकर उसपर लाल चीटियां छोड़ दूंगी। यह सुनते ही वह आदमी वहां से भाग गया और फिर कभी गांव में नजर नहीं आया।
इन परिवारों को गिरोह बनाता है अपना शिकार
वेस्ट बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में बच्चों की तस्करी करने वाला गिरोह काफी सक्रिय है। यह गिरोह ऐसे परिवार पर नजर रखता जो कि बहुत गरीब होता और जिसके घर में लड़की होती है। इसके बाद वे शादी का रिश्ता लेकर लड़की के घर जाते हैं और उसके परिवार को पैसे का लालच देकर शादी कराने को कहते हैं। शादी के कुछ महीने बाद लड़की के परिवार को पैसा मिलना बंद हो जाता। जब लड़की के परिवार वाले शादी के दौरान दिए हुए लड़के के पते पर जाते हैं तो वह फर्जी निकलता है।
लड़कियों के अलावा वे लड़कों के लिए भी उनके परिवार को पैसों का लालच देकर उन्हें खरीदते जिसका भुगतान वे एडवांस सैलरी के रूप में करते हैं। यह गिरोह लड़कियों को खरीदने के बाद उन्हें या तो देहव्यापार में डाल देता या अलग-अलग राज्य में उन्हें किसी के घर में घरेलू काम पर लगा देता है।
आपको याद हो तो पिछले साल बंगाल की रहने वाली 15 साल की रूपा धारा के परिवार को पैसे देकर उसकी दिल्ली के रहने वाले एक व्यक्ति से शादी करा दी गई थी जहां पर उसको 6 महीने तक बंधक बनाकर रखा गया था। बता दें कि असम और वेस्ट बंगाल में सबसे ज्यादा मानव तस्करी के मामले सामने आते हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की 2015 की रिपोर्ट के अनुसार 1,255 वेस्ट बंगाल से मानव तस्करी के मामले सामने आए थे।
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