नर्मदा नदी किनारे मिले 50 हजार साल पुरानी बस्तियों के सबूत

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मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में जारी आर्कियोलॉजिकल डिपार्टमेंट की खुदाई में 50 हजार साल पुरानी इंसानों की बस्तियों के सबूत मिले हैं। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिसर्च के मुताबिक, आज का मानव कई अंतर के बावजूद एक लाख साल पुराने अफ्रीकी मानव समूहों से संबंधित है। इस मामले में 42 हजार पुराने सबूत तो मिल चुके हैं, लेकिन रिसर्चर्स को उम्मीद है कि ये आंकड़ा 70 हजार साल तक भी पहुंच सकता है।
खुदाई में क्या मिला:

यहां मिले माइक्रोब्लेड को फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी अहमदाबाद ने 50 हजार साल पुराना बताया है। माइक्रोब्लेड वह औजार है, जिसका इस्तेमाल उस दौर के लोग शिकार के लिए करते थे।
गुजरते वक्त के साथ इसे लकड़ी या फिर हड्डी में लगाया जाने लगा। मेहताखेड़ी में मिले शुतुरमुर्ग के अंडे के टुकड़े की कार्बन डेट 42 हजार साल पुरानी है।

क्या है खास?
– यह खोज भारत में मानव इतिहास के पुराने अवशेषों की सबसे बड़ी नई है।
– अभी तक भारत में 5000 साल पहले सिंधु नदी के किनारे हड़प्पा सिविलाइजेशन के बारे में कहा जाता है कि यही सबसे पुरानी सिविलाइजेशन थी। लेकिन अब नर्मदा घाटी के किनारे 50 हजार साल पुरानी सभ्यता के सबूत मिलने लगे हैं।
– अगर यह सच साबित होता है तो फिर एक नया ही कॉन्सेप्ट सामने आएगा। फोकस इस थ्योरी पर शिफ्ट हो जाएगा कि नर्मदा घाटी में 50 या 70 हजार साल पहले सिविलाइजेशन थी।
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कौन-सी टीम कर रही है खुदाई?
-श्री विष्णु श्रीधर वाकणकर आर्कियोलॉजिकल रिसर्च सेंटर की टीम 16 फरवरी से खुदाई कर रही है। टीम का कहना है कि इससे नव मानव या होमो सैपियन्स के इतिहास से पर्दा उठ सकेगा।
-रिसर्च टीम की लीडर डेक्कन कॉलेज पुणे की रिटायर्ड प्रोफेसर शीला मिश्रा हैं। उन्होंने बताया- “इस क्षेत्र में प्रागैतिहासिक काल (करीब 50 हजार साल पुरानी सिविलाइजेशन) के कई राज दबे हुए हैं। हजारों साल पहले बाढ़ में बहकर आई मिट्‌टी के नीचे ये अब भी मौजूद हैं।”

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