हनुमानगढ़। गांव मक्कासर के किसान दिल्ली कूंच के लिये रवाना हुए। मक्कासर से चले इन किसानों के दल में सैकड़ों किसान शामिल थे। गांव मक्कासर में किसान एकता के नारेबाजी कर रवाना इस दल के सदस्य शेलेन्द्र मेघवाल ने बताया कि इन बिलों को लेकर जो सबसे बड़ी चिताएं किसानों की हैं वो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर हैं। हालांकि एमएसपी बंद नहीं करने जा रही है सरकार। आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश को लेकर किसानों ने रिलायंस जियो का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे पहले जियो आया और उन्होंने सस्ता दिया और बाद में धीरे-धीरे दाम बढ़ गए। उनका कहना है कि निर्याकतों को इस आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल से बाहर रख रहे हैं। जिसका मतलब है कि उनपर ये लागू नहीं होगा। वो जितना अनाज चाहे अपने साथ रख सकते हैं क्योंकि उन्हें निर्यात करना है। लेकिन किसानों पर ये पाबंदी लागू होगी कि वो एक तय लिमिट से ज्यादा नहीं रख सकते हैं। उन्हें लगता है कि प्राइवेट प्लेयर्स आएंगे और किसानों को सुविधाएं, पैसा देंगे लेकिन उसके बाद किसान उनके अधीन हो जाएंगे। जो वो कहेंगे उनकी शर्तों पर किसानों को रहना पड़ेगा। किसानों ने उक्त विधेयक और अध्यादेश को वापस लेने की सरकार से मांग की है। वहीं मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश का विरोध करने वालों का दावा है कि अब निजी कंपनियां खेती करेंगी जबकि किसान मजदूर बन जाएगा। किसान नेताओं का कहना है कि इसमें एग्रीमेंट की समयसीमा तो बताई गई है लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य का जिक्र नहीं किया गया है। इस मौके पर मनोहर सिंह, तरसेम सिंह, शैलेन्द्र कुमार, सुखा पहलवान, गुरप्रीत सिंह, हरप्रीत सिंह, ओम स्वामी, रोशनलाल, संधा सिंह पेसिया, अंग्रेज सिंह, मनोहर सिंह खालसा, सहित अन्य किसान मौजूद थे।
ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें फेसबुक, ट्विटर, इंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं।