पीएम मोदी ने इन 7 वजहों के कारण वेंकैया नायडू को बनाना चाहते हैं उपराष्ट्रपति

मोदी कैबिनेट को देखें तो नायडू पांचवे नंबर पर आते हैं। मोदी के बाद राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली के बाद उनका नंबर आता है।

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नई दिल्ली: राजनीति में वन लाइनर कहें जाने वाले मुपावरापू वेकैंया नायडू को बीजेपी ने उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। कोंविद को राष्ट्रपति बनाने के वजह हम आपको पहले ही बता चुके है। अब आपको बताते हैं कि वो कौन-सी वजह है जिसके चलते वेंकैया को ही वाइस प्रेसिडेंट पोस्ट के लिए कैंडिडेट चुना गया है? एक नजर…..

राज्यसभा में सरकार के मददगार
उप राष्ट्रपति ही राज्यसभा सभापति होता है। 4 बार राज्यसभा सांसद रहे वेकैंया को इस सदन का काफी एक्सपीरियंस है। संसदीय कार्य मंत्री भी रहे हैं। राज्यसभा में एनडीए अब भी बहुमत में नहीं है। ऐसे में मनपसंद सभापति होने से सरकार को सहूलियत मिल सकती है। खासकर उन बिलों के मामलों में, जो राज्यसभा में अटकते रहे हैं।

2 साल में दक्षिण के 3 राज्यों में चुनाव

उप राष्ट्रपति पद के लिए बीजेपी में जिन तीन नामों पर चर्चा हुई वे सभी दक्षिण भारत से हैं। इनमें वेकैंया आंध्र प्रदेश से हैं। उनके उपराष्ट्रपति बनने से पार्टी को कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र और तमिलनाडु में फायदा होगा। अगले 2 साल में कर्नाटक, आंध्र और तेलंगाना में चुनाव हैं। 2019 आम चुनाव के लिए भी एक रास्ता तैयार होगा।
 साउथ इंडिया कनेक्शन
दक्षिण भारत में बीजेपी की कोई खास पकड़ नहीं मानी जाती। रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति बनना करीब-करीब तय हो चुका है। वो यूपी यानी उत्तर भारत से आते हैं। बीजेपी ये मैसेज देना चाहती है कि साउथ इंडिया उसके लिए काफी अहम है। रीजनल फैक्टर का बैलेंस बनाए रखने के लिए वेंकैया को कैंडिडेट बनाया है।
राज्यसभा का अनुभव
नायडू चौथी बार राजस्थान से राज्यसभा के लिए चुने गए हैं। अपर हाउस का उन्हें काफी एक्सपीरिएंस है। लिहाजा, राज्यसभा जहां मोदी सरकार को अपोजिशन के विरोध का लगातार सामना करना पड़ा है, नायडू के वहां चेयरपर्सन के रूप में पहुंचने से काफी फायदा हो सकता है। वो पहली बार 1998 में राज्यसभा के लिए चुने गए थे। इसके बाद 2004, 2010 और फिर 2016 में भी यहां पहुंचे। कई पार्लियामेंट्री कमेटियों में भी नायडू रहे हैं।
बीजेपी के सबसे बड़े नेताओं में से एक
1975 से 1977 के बीच इमरजेंसी के दौरान नायडू जेल में रहे। 1977 से 1980 के दौरान जनता पार्टी यूथ विंग के प्रेसिडेंट रहे। 1978 में ही आंध्र प्रदेश में एमएलए बने। वो साउथ में बीजेपी का सबसे मशहूर चेहरा हैं जो कभी विवादित नहीं रहा। बीजेपी ने उन्हें कितना महत्व दिया, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो दो बार पार्टी के नेशनल प्रेसिडेंट रहे। अपोजिशन लीडर्स से भी उनके अच्छे रिलेशन माने जाते हैं।
सबसे सीनियर लीडर्स में से एक
मोदी कैबिनेट को देखें तो नायडू पांचवे नंबर पर आते हैं। मोदी के बाद राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली के बाद उनका नंबर आता है। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में भी वो मंत्री थे। उन्हें मोदी के सबसे करीबी मंत्रियों में से एक माना जाता है और छवि भी बेदाग रही है।
मोदी के भरोसेमंद
वेंकैया नायडू को मोदी के सबसे भरोसेमंद एडवाइजर्स में से एक माना जाता है। वाइस प्रेसिडेंट के तौर पर वो राज्यसभा के लिए तो फायदेमंद साबित होंगे लेकिन मोदी को उनकी सियासी तौर पर कमी महसूस हो सकती है।
कौन हैं वेंकैया?
68 साल के वेंकैया का जन्म 1 जुलाई, 1949 को नेल्लोर के चावतापालेम में हुआ था। वेंकैया का नाम सबसे पहले 1972 के जय आंध्र आंदोलन से सुर्खियों में आया था। 1974 में वे आंध्रा यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट यूनियन के नेता चुने गए। इसके बाद वह आपातकाल के दौरान जेपी आंदोलन से जुड़े। आपातकाल के बाद ही उनका जुड़ाव जनता पार्टी से हो गया था। वे 1977 से 1980 तक जनता पार्टी की यूथ विंग के प्रेसिडेंट भी रहे। बाद में वे भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ गए। 1978 से 85 तक वे दो बार विधायक भी रहे। 1980-85 के बीच वेंकैया आंध्र प्रदेश में बीजेपी पार्टी के नेता रहे। 1985-88 तक जनरल सेक्रेटरी रहे।
1988-93 तक राज्य का बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया। सितंबर, 1993 से 2000 तक वे नेशनल जनरल सेक्रेटरी की पोस्ट पर भी रहे। वे 2002 से 2004 के बीच भारतीय जनता पार्टी के प्रेसिडेंट भी रहे। वेंकैया पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायजेपी के करीबी थे, जिस वजह से उन्हें वाजपेयी सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री का दायित्व सौंपा गया था। मौजूदा वक्त में वेकैंया नायडू शहरी विकास, आवास तथा शहरी गरीबी उन्‍मूलन और संसदीय कार्य मंत्री हैं। नायडू की पत्नी का नाम एम. उषा है। परिवार में एक बेटा और दो बेटी हैं।
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