वसुंधरा सरकार से छिनने जा रहा है आरक्षण देने हक, ये निकली बड़ी वजह

0
343
प्रतीकात्मक

जयपुर: गुर्जर, ब्राह्मण और राजपूतों के आरक्षण से जुड़ी मांग पर राज्य सरकार काे जल्द स्टैंड लेना होगा। संसद के अगले सत्रों से पहले राज्य सरकार ऐसा नहीं कर सकी तो भविष्य में किसी भी जातियों को आरक्षण देना राज्य सरकार के बूते से बाहर हो जाएगा। राज्य सरकार के पास आरक्षण देने का पावर खत्म हो जाएगा। केंद्र ने इसकी तैयारी कर ली है।
दरअसल राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने का बिल केंद्र सरकार अगले सत्र से दोबारा लाने की तैयारी कर रही है।

अगर ये बिल लोकसभा और राज्यसभा से पास हो गया तो राज्य सरकार स्टेट ओबीसी सूची में किसी भी जाति को शामिल नहीं कर सकेगी और ओबीसी केटेगराइजेशन का पावर भी राज्य सरकार के हाथ में नहीं रहेगा। ये सब पावर संसद के पास चले जाएंगे। संसद ही ऐसे मामलों पर अंतिम निर्णय करेगी कि ओबीसी में कौनसी जाति जुड़नी चाहिए या नहीं। केटेगराइजेशन होना चाहिए या नहीं।

दैनिक भास्कर के मुताबिक, राज्य सरकार के पास सिर्फ प्रस्ताव या सिफारिश करने का ही पावर रह जाएगा। इससे पहले भी ये बिल पिछले साल लोकसभा से पास होकर राज्यसभा पहुंचा था लेकिन वोटिंग में पास नहीं हो सका था। अब केंद्र सरकार दोबारा ये बिल लाने की तैयारी कर ली है।

फिलहाल राज्य सरकार के पास स्टेट ओबीसी आरक्षण में जातियों को जोड़ने- हटाने का पावर, अलग से केटेगरी बनाने का पावर व ओबीसी आरक्षण का केटेगराइजेशन का पावर है। इस बदलाव के पास जातियों के सामाजिक व शैक्षणिक पिछड़ेपन के आंकड़े एकत्र करने के साथ सिफारिश का पावर रह जाएगा।

इसे यू समझें
दरअसल जिस तरह से एसटी- एससी में जातियां जोड़ने का काम केंद्र के पास है। राज्य सरकारें सिर्फ एसटी एससी में जातियां जोड़ने की सिफारिशें कर सकती है। ठीक उसी तर्ज पर अब राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग केंद्रीय का काम रह जाएगा। जातियां जोड़ने व हटाने की सिफारिश का काम। राज्य सरकार सिर्फ सिफारिशें भेजेगी । राज्य सरकार गवर्नर के माध्यम से संसद में सिफारिश भेज सकेगी।

ये भी देखें-  ताजा अपडेट के लिए लिए आप हमारे फेसबुकट्विटरइंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल को फॉलो कर सकते हैं

पुराने बिल के ड्राफ्ट में स्टेट ओबीसी आरक्षण सूची में जातियों को जोड़ने – हटाने जैसे पॉवर संसद के पास चले जाते और स्टेट ओबीसी आरक्षण के केटेगराइजेशन का पॉवर भी। ये बिल राज्यसभा में वोटिंग में पास नहीं हो सका था। अब ऐसे में ये नया बिल आएगा तो उसमें भी लगभग ये ही बात रहेगी या नहीं। इस पर कुछ कहना जल्दबाजी होगी।

बिल में प्रावधान
इस बिल के द्वारा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संविधान में उल्लेखित राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति व अनुसूचित जाति आयोग के समकक्ष रहेगा तथा समस्त प्रावधान एसटी- एससी आयोग की तरह हो जाएंगे। केंद्र सरकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342 में संशोधन करेगी, जिससे पिछड़ा वर्ग आयोग काे एसटी- एससी आयोग के समान दर्जा प्राप्त हो जाएगा। जिसमें सामाजिक व शैक्षणिक पिछड़े लोगों को संरक्षित करने की शक्तियां तथा उनके विकास के लिए प्रावधान व जातियों को पिछड़ा वर्ग की सूचियों में शामिल करने और बाहर कराने का अधिकार मिल जाएगा। राज्य सरकार फिर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग के माध्यम से ही नई जातियां जुड़वा सकेगी।

ये भी पढ़ें:

रूचि के अनुसार खबरें पढ़ने के लिए यहां किल्क कीजिए