दलितों पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में विभिन्न सामाजिक संगठनों ने सौंपा ज्ञापन

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हनुमानगढ़। विभिन्न सामाजिक संगठनों ने मंगलवार को महामहिम राज्यपाल के नाम जिला कलक्टर को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय पर दलित भाजपा नेता कैलाश मेघवाल पर हुए जानलेवा हमले तथा राजस्थान में आए दिन दलितों पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया कि राजस्थान में विगत लगभग 31 माह से कांग्रेस सरकार शासन में है। राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वयं गृह मंत्री के रूप में मंत्रालय को सम्भाल रहे हैं। जब से राजस्थान में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई है तब से राजस्थान में अराजकता का माहौल बन गया है। दलित और महिलाओं पर अत्याचारों की इस दौरान अकल्पनीय रूप से बढ़ोतरी हुई हैं। इनकी पुष्टि क्राईम रिकॉर्ड ब्यूरों के आंकड़ों से साफ तौर पर होती है । दिनांक 30 जुलाई 2021 को श्री गंगानगर में दलित समाज के सहज और सरल भाजपा नेता कैलाश मेघवाल को भीड़ द्वारा पुलिस की उपस्थिति में सुनियोजित तरीके से आक्रमक रूप से हमला करके घायल करते हुए कपड़े फाड़ दिए गए। इस घटना क्रम में पुलिस प्रशासन भी संदेह के घेरे में है। इस घटनाक्रम के बाद राजस्थान के सम्पूर्ण दलित समाज में रोष व्याप्त है। पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद भी अभी तक अपराधी बेखौफ घूम रहे हैं। इससे प्रतीत होता है कि ऐसे अपराधियों को सरकार का संरक्षण प्राप्त है। दलित समाज इस घटनाक्रम में शामिल अपराधियों को तुरंत गिरफ्तार ना करने पर सम्पूर्ण राजस्थान में बड़ा आंदोलन करने को तत्पर है। अभी तक तो अनुसूचित जाति वर्ग का आम आदमी ही इस दौर से गुजर रहा था लेकिन अब तो कुछ समय से इस वर्ग के वरिष्ठ जनप्रतिनिधि और जन नेता भी सुरक्षित नहीं हैं। पूर्व में भरतपुर सांसद माननीय श्रीमती रंजीता कोली पर हुआ हमला भी सरकार की नाकामी का उदाहरण है। आए दिन दलितों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने में राजस्थान सरकार पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है। इससे स्पष्ट होता है कि यह कांग्रेस सरकार इन संवेदनशील मुद्दों पर भी असंवेदनशीलता के साथ काम कर रही। विभिन्न सामाजिक संगठनों ने राज्यपाल को ज्ञापन देकर राजस्थान में अनुसूचित जाति वर्ग को सुरक्षा देने हेतु दिशानिर्देश जारी करने की मांग की है। इस मौके पर पूर्व सरपंच नौरंग चांवरिया, पूर्व सरपंच अशोक जोईया, पूर्व सरपंच जंटा सिंह, पूर्व डायरेक्टर मदन कड़वा, राकेश ढिल्ल, प्रदीप कड़वा व अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे।

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