उत्तर प्रदेश: क्या आप जानते हैं कि चौके या बाउंड्री के लिए संस्कृत में क्या शब्द है? क्या आपको यह पता है कि टॉस, बल्लेबाज और रन के लिए क्या कहा जा सकता है? हम आपको आज ये सब बताने वाले हैं। दरअसल, एएनआई की खबर के मुताबिक, वाराणसी की संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी मे मंगलवार को क्रिकेट का एक ऐसा मुकाबला देखने को मिला जिससे साबित होता है की खेल सांस्कृतिक सीमाओं से भी परे होता है। कॉलेज कार्यक्रम के दौरान मैच खेला गया जिसमें हिन्दी या अंग्रेजी में नहीं बल्कि संस्कृत में कमेंट्री हुईं। जो अब सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है।
मैच के दौरान संस्कृत में ‘चौके’ को कहा जाता है चतुर्धावनांक, ‘छक्के’ के लिए षष्ठाधावनांक, ‘ओवर’ के लिए षडावधि:, ‘बल्लेबाज’ के लिए फलत धारक, ‘टॉस’ के लिए मुद्राक्षेपणम और ‘रन’ के लिए धावनांक शब्दों का इस्तेमाल किया है।संस्कृत में कमेंट्री ने ही नहीं बल्कि दर्शकों का मन खिलाड़ियों की पोशाक ने भी जीता। इस मैच में खिलाड़ी सफेद जर्सी में नहीं कुर्ता-धोती में नजर आए। इस टूर्नामेंट में पांच संस्कृत विद्यालयों की टीमों ने हिस्सा लिया। खिलाडि़यों के साथ ही मैदान में मौजूद अंपायरों ने भी पारंपरिक भारतीय कपड़े पहन रखे थे।
पूर्व रणजी खिलाड़ी धीरज मिश्रा और संजीव तिवारी ने इस दौरान अंपायरिंग की। धोती-कुर्ता पहने बल्लेबाजों को बैटिंग और रन लेने के दौरान किसी तरह की समस्या नहीं हुई। वे बड़े आराम से खेलते हुए नजर आए। संस्कृत क्रिकेट लीग के नाम से होने वाला यह टूर्नामेंट हर साल आयोजित होता लेकिन इस बार की खासियत यह रही कि इस मैच की कमेंट्री भी संस्कृत में हुई जिसमें दर्शकों की दिल जीत लिया।
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