उत्तर प्रदेश: आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर किसी भी वक्त आचार संहिता लागू हो सकती है, इसी को भांपते हुए अखिलेश सरकार ने राज्य कर्मचारियों को तोहफा देते हुए 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। यूपी कैबिनेट के इस कदम से राज्य के 21 लाख कर्मचारियों, शिक्षकों व पेंशनरों को सातवें वेतन आयोग का लाभ मिलेगा।
अखिलेश सरकार राज्य में जनवरी 2016 से ये वेतन आयोग लागू करेगी और जनवरी 2017 से लोगों को इसके लाभ मिलने लगेंगे। सरकार लोगों को इस एक साल का वेतन और पेंशन देगी। यूपी कैबिनेट के इस फैसले से राज्य के करीब साढ़े आठ लाख सरकारी कर्मचारी, साढ़े पांच लाख शिक्षकों के साथ-साथ स्थानीय निकाय, जिला पंचायत विकास प्राधिकरणों, स्वशासी संस्थाओं, सार्वजनिक उपक्रमों निगमों तथा विकास प्राधिकरणों के कर्मचारी को फायदा मिलेगा।
7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से सरकारी खजाने पर करीब 80 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ने का अनुमान है। हालांकि चुनाव को देखते हुए अखलेश सरकार ने विधानसभा के पिछले मानसून सत्र में अनुपूरक बजट के जरिये इस राशि का इंतजाम कर लिया है।
इस फैसले के बाद अखिलेश यादव ने कहा, साढ़े चार साल तक चली यह बैठक सबसे लंबी रही है। इसमें सातवें वेतन आयोग सहित जनता के हित में कई बड़े फेसले लिए गए हैं। कैबिनेट के कुल 80 प्रस्ताव किए हैं। कुछ और जरूरी फैसले अगली कैबिनेट बैठक में लिए जाएंगे।’
बता दें कि अखिलेश यादव ने महज छह महीने सिफारिशों को लागू कर दिया जबकि छठे वेतन आयोग को लागू करने में तीन साल की देरी हुई थी, राज्य में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने का यह फैसला आगामी विधानसभा चुनाव से ढेरों आस लगाए अखिलेश यादव का बेहद अहम कदम माना जा रहा है।
राज्य में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों लागू करने की घोषणा कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक ओर जहां सरकारी कर्मचारियों को लुभाने की कोशिश की, वहीं नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना भी की। अखिलेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘जो लोग 50 दिन गिनते थे, सुनने में आया है कि वह और 50 दिन गिन रहे हैं। यह समस्या 50 दिनों में नहीं सुधरेगी, एक साल लगेगा।’ अखिलेश यादव ने साथ ही कहा कि यूपी में होने वाले चुनाव में नोटबंदी की वजह से दुख-तकलीफ झेल रहे लोगों की आवाज दिखेगी।