रविवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया है। इस दौरान उन्होंने दावा किया कि किस तरह पिछले पांच साल में उनकी पार्टी ने अपन किए वादों को पूरा किया, किस तरह सड़कें अच्छी हुईं, किसानों के हितों में फैसले लिए गए और किस तरह बच्चों के लिए सबसे ज्यादा काम हुआ।
ऐसा कहते हुए उन्होंने रायबरेली के एक स्कूल का किस्सा सुनाया जब वहां उन्होंने एक बच्चे से पूछा कि वो कितना पढ़ना जानता है। अखिलेश बताते हैं कि ‘वो बच्चा ठीक से पढ़ नहीं पा रहा था क्योंकि शिक्षक ने उसे सब कुछ रटवा रखा था। जो रटकर याद था, वो बस वही पढ़ रहा था। मैंने पन्ना पलट दिया वो नहीं पढ़ पाया। मैंने बहुत सारी चीज़ें पूछी, कुछ का जवाब दिया कुछ का नहीं दे पाया।’ अखिलेश आगे बताते हैं ‘फिर मैंने उससे पूछा कि तुम मुझे पहचाने, बताओ मैं कौन हूं? इस पर बच्चे ने कहा – हां मैं आपको पहचानता हूं, आप राहुल गांधी हो।’
अखिलेश के इस किस्से पर काफी तालियां बजीं लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र में शिक्षा के इस हाल पर सीएम की टिप्पणी को शायद कांग्रेस पार्टी सहजता से न ले पाए। जैसे कि पहले भी होता आया है, रायबरेली और अमेठी में विकास की कमी और इसे लेकर गांधी परिवार या उनके नेतृत्व की आलोचना पार्टी बर्दाश्त नहीं कर पाती। वहीं कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन को लेकर जारी असमंजस के बीच अखिलेश का यह उदाहरण क्या मायने रखता है, यह देखना दिलचस्प होगा।
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इस दौरान अखिलेश, बसपा सुप्रीमो मायावती पर भी तंज कसने से पीछे नहीं हटे। उन्होंने कहा कि अगर ‘पत्थर’ वाली सरकार बन गई तो फिर लखनऊ, नोएडा में जो हाथी लगे हैं, उससे भी बड़े बड़े हाथी देखने को मिलेंगे। उन्होंने मज़ाकिया लहज़े में मायावती की तरफ इशारा करते हुए कहा कि पत्थर वाली सरकार के लोग आजकल टीवी पर बहुत आ रहे हैं लेकिन सोचो अगर पत्थर यदि टीवी से टकरा गया तो क्या होगा टीवी का?