उत्तर प्रदेश: विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा ने क्षेत्रीय मुद्दों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति तैयार की है। एक रिपोर्ट के अनुसार अनुमान लगाया गया है कि BJP यूपी के छह क्षेत्रों पश्चिमी यूपी, ब्रज, कानपुर, अवध, गोरखपुर और काशी में बांटा है। प्रत्येक क्षेत्र के लिए एक अध्यक्ष, साथ ही बाहर से एक इंचार्ज बनाया है। RSS के व्यक्ति को क्षेत्रीय महामंत्री संगठन बनाया गया है। पश्चिमी यूपी, गोरखपुर और काशी क्षेत्रों की सीटों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इन तीनों क्षेत्रों में 403 में से 204 सीटें हैं।
पार्टी नेताओं का मानना है कि मोदी की छवि, RSS के कार्यकर्ताओं के प्रचार और समाजवादी पार्टी में चल रही कलह ने पार्टी के लिए उम्मीदें बढ़ा दी हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में मिली सफलता की 60 प्रतिशत यानि की लगभग 337 सीटों का लक्ष्य बनाया गया है। इसके लिए 10 प्रतिशत ब्राह्मणों, 33 प्रतिशत गैर यादव ओबीसी और 7 प्रतिशत गैर जाटव वोटों को पाले में लाने का प्रयास है। इन समुदायों के बड़े चेहरों को आगे किया जा रहा है। विपक्षी पार्टियों से भी बड़े नेताओं को शामिल किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश भाजपा के एक नेता ने इकॉनॉमिक टाइम्स को बताया कि टिकटों के लिए आठ हजार आवेदन आए हैं यानि की प्रत्येक सीट के लिए 20 दावेदा। सभी को छह स्तरीय स्क्रीनिंग प्रकिया और कम से कम तीन सर्वे से गुजरना होगा। इसके बाद सर्वश्रेष्ठ नाम को भाजपा केंद्रीय संसदीय बोर्ड को भेजा जाएगा। चुनाव के कार्यक्रम से भी भाजपा में खुशी है। उनका मानना है कि यह कार्यक्रम साल 2014 के लोकसभा चुनावों की तरह ही है जब पार्टी ने 80 में से 71 सीटें जीती थी। उत्तर प्रदेश भाजपा महासचिव विजय बहादुर पाठक के अनुसार, यूपी का चुनाव हवा का है। इस बार भी हवा भाजपा के लिए पश्चिम से उड़कर पूर्वांचल तक जाएगी।
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अवध और ब्रज जैसे क्षेत्रों में पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है। यहां पर कुल मिलाकर 147 सीटें हैं और अखिलेश यादव के विकास के काम दिखाई पड़ते हैं। हालांकि सपा में कलह और मुस्लिम मतों में बिखराव से फायदा लेने की कोशिश है। साल 2012 के विधानसभा चुनावों में भाजपा अवध क्षेत्र से केवल 6 सीटें जीत पाई थी। भाजपा ने राजनाथ सिंह(राजपूत), कलराज मिश्र (ब्राह्मण), केशव प्रसाद मौर्य (गैर यादव) और उमा भारती (लोध) को आगे कर भाजपा 50 प्रतिशत वोट बैंक हासिल करना चाहती है।