समाजवादी पार्टी में मुलायम और अखिलेश के बीच जारी जंग में चुनाव आयोग से मुलायम गुट को करारा झटका लगा है।आयोग ने सोमवार को पार्टी के चुनाव चिह्न ‘साइकिल’ अखिलेश के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी को देने का फैसला सुनाया।
मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने सोमवार को सपा के चुनाव निशान के मुद्दे पर उच्च स्तरीय बैठक की। आयोग ने यह फैसला 1968 के चिह्न आदेश के आधार पर दिया है।
चुनाव आयोग ने अखिलेश खेमे की दलीलों से सहमति जताते हुए स्पष्ट कर दिया कि वही असली समाजवादी पार्टी है। इस फैसले के बाद अखिलेश समर्थकों में भारी उत्साह देखा गया और लोगों ने पार्टी दफ्तर के बाहर जश्न मनाना शुरू कर दिया।
अब यह संभावना जताई जा रही है कि शीघ्र ही कांग्रेस के साथ अखिलेश चुनावी गठबंधन की घोषणा कर सकते हैं। अटकलें हैं कि अखिलेश की पत्नी और सपा सांसद डिंपल यादव तथा कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी वाड्रा साथ मिलकर चुनाव प्रचार कर सकती हैं। चुनाव आयोग के फैसले के बाद अखिलेश के करीबी रामगोपाल यादव ने भी इस बात के संकेत दिए। इससे पहले सोमवार दिन में मुलायम सिंह ने कहा था कि अखिलेश उनकी एक नहीं सुनते हैं।
शुक्रवार को अखिलेश और मुलायम सिंह यादव के वकीलों ने चुनाव आयोग में अपना अपना पक्ष रखा था। अखिलेश यादव के वकील कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को चुनाव आयोग के आगे दलील दी थी कि पार्टी के संगठन के साथ सांसद, विधायक और एमएलसी अखिलेश के साथ हैं, इसलिए नियमों के अनुसार असली समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव के नेतृत्व में ही कही जाएगी।
उधर, मुलायम सिंह यादव के वकीलों ने अखिलेश यादव की ओर से पेश किए गए सांसदों और विधायकों के समर्थन के दस्तावेजों पर ही सवाल उठाए थे। साथ ही रामगोपाल यादव की ओर से बुलाए गए उस सम्मलेन पर भी सवालिया निशान उठाया गया था, जिसमें अखिलेश को पार्टी सुप्रीमो चुना गया।