हनुमानगढ़। डॉ. भीमराव अंबेडकर मानव सेवा संस्था, मक्कासर (हनुमानगढ़) के तत्वावधान में मंगलवार को गांव के चौक पर बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की आदमकद मूर्ति का भव्य अनावरण समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक गणेशराज बंसल ने विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहकर मूर्ति का अनावरण किया। उनके साथ नेशनल जनमंडल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष दौलतराम पैंसिया, निवर्तमान सभापति सुमित रिणवां, पूर्व उपसभापति नगीना बाई, बसपा पूर्व जिलाध्यक्ष शैलेन्द्र मेघवाल, एसकेडी विश्वविद्यालय के संस्थापक बाबूलाल जुनेजा, SC/ST/OBC भाईचारा कमेटी के प्रदेशाध्यक्ष जसविंदर धालीवाल, कांग्रेस एससी मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष रामेश्वर चावरियां, पूर्व सरपंच गणपत बारूपाल, कुम्हार समाज के जिलाध्यक्ष मोहनलाल डाल, चरणजीत सिंह काला, कुलदीप ओलख, लखपत राय मेहरड़ा, महावीर सोलंकी, ओमप्रकाश ददरवाल, ओमप्रकाश नायक, तरसेम सिंह, मोहन सिंह सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक एवं ग्रामीणजन मौजूद रहे।
इस अवसर पर आयोजित सभा में वक्ताओं ने बाबा साहेब के जीवन, संघर्ष और समाज सुधार में उनके योगदान पर प्रकाश डाला। विधायक गणेशराज बंसल ने अपने संबोधन में कहा कि बाबा साहेब केवल एक व्यक्ति नहीं थे, बल्कि एक ऐसी विचारधारा थे जो आज भी समाज में जीवित है और सभी वर्गों को समान अधिकारों के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब का जीवन युवाओं के लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेगा। उनके विचार और शिक्षाएं आज भी सामाजिक समरसता, न्याय और समानता की दिशा में हमारा मार्गदर्शन कर रही हैं।
पूर्व सरपंच गणपत बारूपाल ने बताया कि इस चौक का निर्माण समस्त ग्रामीणों के सहयोग से हुआ है, जो गांववासियों की एकता और बाबा साहेब के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। उन्होंने यह भी बताया कि इस आदमकद मूर्ति को विधायक गणेशराज बंसल ने गांव को भेंट किया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि चौक पर लगी बाबा साहेब की प्रतिमा युवाओं को उनके संघर्षमय जीवन की याद दिलाकर कठिनाइयों में भी हार न मानने की प्रेरणा देगी।
एससी एसटी ओबीसी भाईचारा कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष जसविंदर धालीवाल एवं कुलदीप सिंह ओलख ने कहा कि बाबा साहेब का सपना था कि हर व्यक्ति को समाज में बराबरी का दर्जा मिले और उनके बताए रास्ते पर चलकर ही हम एक समतामूलक समाज की स्थापना कर सकते हैं। अन्य वक्ताओं ने भी बाबा साहेब के योगदान को याद करते हुए उनके सिद्धांतों को आत्मसात करने का आह्वान किया।
कार्यक्रम के अंत में चरणजीत सिंह काला व शैलेन्द्र मेघवाल ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
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