Uniform Civil Code: उत्तराखंड विधानसभा में मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता कानून (UCC) का ड्राफ्ट पेश किया। धामी ने कहा कि इस बिल में सभी धर्मों और सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है। UCC पर ड्राफ्ट लाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य है।
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इस तरह से यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड देश का दूसरा राज्य बन जाएगा। इससे पहले गोवा में यूसीसी लागू है। लेकिन आजादी के बाद उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना है। हालांकि अभी से इसके लागू होने के बाद बदलने वाले नियमों और कानूनों को लेकर बहस शुरू हो गई है।
बिल पेश करने से पहले मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जिस वक्त का लंबे समय से इंतजार था, वो पल आ गया है। न केवल प्रदेश की सवा करोड़ जनता बल्कि पूरी देश की निगाहे उत्तराखंड की ओर बनी हुई हैं। यह कानून महिला उत्थान को मजबूत करने का कदम है जिसमें हर समुदाय, हर वर्ग, हर धर्म के बारे में विचार किया गया है।
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समान नागरिक संहिता की 10 बड़ी बातें
- सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य करने का प्रस्ताव किया है।
- बहुपत्नी प्रथा समाप्त कर एक पति पत्नी का नियम सभी पर लागू करने पर बल दिया गया है।
- प्रदेश की जनजातियों को इस कानून की परिधि से बाहर रखा गया है।
- संपत्ति बंटवारे में लड़की का समान अधिकार सभी धर्मों में लागू रहेगा।
- अन्य धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकेगा।
- लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण कराना आवश्यक होगा।
- लव जिहाद, विवाह समेत महिलाओं और उत्तराधिकार के अधिकारों के लिए सभी धर्मों के लिए समान अधिकार की बात की गई है।
- यूसीसी में गोद लिए हुए बच्चों, सरोगेसी द्वारा जन्म लिए गए बच्चों व असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी द्वारा जन्म लिए गए बच्चों को अन्य की भांति जैविक संतान ही माना गया है।
- किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसकी संपत्ति में उसकी पत्नी व बच्चों को समान अधिकार दिया गया है। उसके माता-पिता को भी उसकी संपत्ति में समान अधिकार दिया गया है।
पूरे देश में कब लागू होगा यूसीसी?
फिलहाल इस पर अभी केंद्र सरकार के द्वारा कोई घोषणा नहीं की गई लेकिन जानकारों का कहना है कि भाजपा शासित प्रदेशों में जल्द यूसीसी लागू हो सकता है। केंद्र सरकार लोकसभा चुनावों को देखते हुए भी अभी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती क्योंकि कर्नाटक में विधानसभा चुनावों में मेनिफिस्टों में यूसीसी की घोषणा करने पर सरकार को मुंह की खानी पड़ी थी। कहा ये भी जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित सबरीमाला केस का फैसला भी केंद्र के यूसीसी लागू करने वाले फैसले को प्रभावित कर सकता है।
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विरोध में विपक्ष
उत्तराखंड विधानसभा में पेश हुए UCC बिल को AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने मुसलमानों के खिलाफ साजिश बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि नए बिल के जरिए मुसलमानों को उनके मजहब से दूर करने की साजिश की जा रही है। ओवैसी ने कहा कि जब जनजातियों को इस बिल से बाहर रखा गया है, तब यह यूनिफॉर्म सिविल कोड कैसे हो सकता है। TMC सांसद सौगत रॉय ने कहा कि हम UCC लागू करने के पक्ष में नहीं हैं। वे इसे बीजेपी शासित राज्यों में लागू कर सकते हैं, लेकिन हम पश्चिम बंगाल में इसे लागू नहीं करेंगे। वहीं कांग्रेस ने कहा है कि इसमें जनजाति महिलाएं अलग क्यों है?
कौन-कौन है इस कानून से बाहर
राज्य की जनजातियों पर यह क़ानून लागू नहीं होगा। मतलब उत्तराखंड में निवास करने वाली किसी भी जनजाति इस क़ानून से मुक्त रहेंगी। जनजाति समुदाय की राज्य में पांच प्रकार की जनजातियां है जिनमें थारू, बोक्सा, राजी, भोटिया और जौनसारी समुदाय शामिल है।
बता दें, उत्तराखंड में UCC की एक्सपर्ट कमेटी ने जो रिपोर्ट तैयार की है, उसमें लगभग 400 सेक्शन है। और लगभग 800 पन्नों की इस ड्राफ्ट रिपोर्ट में प्रदेशभर से ऑनलाइन और ऑफलाइन 2.31 लाख सुझावों को शामिल किया गया है।20 हजार लोगों से कमेटी ने सीधे संपर्क किया है। इस दौरान सभी धर्म गुरुओं, संगठनों, राजनीतिक दलों, कानूनविदों से बातचीत की गई है। जिनके सुझावों को कमेटी ने यूसीसी ड्राफ्ट में शामिल किया है।
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