नई दिल्ली: मोदी सरकार रिपोर्ट में सच्चाई बदल सकती है लेकिन जमीनी हकीकत जो जनता देख रही है। उसका क्या करेंगे। दरअसल, मसला ये हैं कि हाल ही में भारत सरकार द्वारा संयुक्त राष्ट्र से एक वरिष्ठ अधिकारी को सफाई और पीने का पानी से संबंधित प्रोग्राम की मॉनिटर करने के लिए बुलाया गया था। अधिकारी ने जब अपनी रिपोर्ट सौंपी तो उसमें कई चीजें नेगेटिव निकलकर सामने आयी।
मोदी सरकार ने अपनी गलती ना मानते हुए उल्टा प्रोग्राम अधिकारी पर असंवेदनशीलता, अशुद्धियों और पूर्वाग्रह के आरोप लगा दिए। एक प्रेस क्रॉन्फ्रेंस में संयुक्त राष्ट्र के विशेष संवाददाता लियो हेल्लर ने कहा कि भारत को खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य केवल एक मजबूत रणनीति बन गया है। वहीं लियो ने यह भी कहा कि सुरक्षित पेयजल के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में सुधार लाने की बहुत आवश्यकता है।
लियो के रिपोर्ट जारी करते हुए आरोप लगाए गए हैं कि भारत को खुले में शौच मुक्त की बात, स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय होने के सरकारी दावों को गलत बताया है। सरकारी एजेंसी पीआईबी ने अपना बयान जारी करते हुए कहा तथ्यात्मक रुप से अधूरी जानकारी दी गई है। इतना ही नहीं पीआईबी ने यह भी कहा कि स्वच्छता की स्थिति के बारे में पूरी तरह से विवरण नहीं दिया गया है।
बता दें कि लियो ने भारत में दो हफ्ते रहते हुए कई राज्यों का टूर किया था जिनमें बंगाल भी शामिल था। इन दोनों प्रोग्राम का निरीक्षण करने और लोगों से बात करने से पाया गया कि दोनों प्रोग्राम के पूरा होने में कई दिक्कतें सामने आ रही हैं। लियो की रिपोर्ट के अनुसार कुछ जगहों पर शौचालय का निर्माण कराने से इनकार करने पर कई गरीब परिवारों के राशन कार्ड को रद्द कर दिया गया है। कई लोग ऐसे हैं जो कि शौचालय का निर्माण न करा पाने के कारण खुले में शौच के लिए जाते हैं तो उनकी पिटाई की जाती है और उन्हें सजा दी जाती है।
लियो ने आगे बताया, जहां भी मैं गया वहां मैंने स्वच्छ भारत अभियान का लोगो लगा देखा जिसपर महात्मा गांधी के चश्मे की फोटो लगी थी। इस स्वच्छ अभियान को लागू हुए तीन साल बीत चुके हैं इसलिए अब समय आ गया है कि मानवाधिकार लेंस के साथ उन चश्मे के लेंस को बदल देना चाहिए। वहीं पीआईबी ने लियो द्वारा दिए गए इस बयान को गांधी जी के प्रति असंवेदनशील करार दिया है। पीआईबी ने कहा कि दुनिया जानती है कि महात्मा गांधी के मानवाधिकार महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है जिसमें सफाई भी शामिल है। गांधी जी का चश्मा स्वच्छ भारत अभियान का एक यूनीक लोगो है जो कि मानवाधिकार के सिद्धांतों को दर्शाता है।
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