नई दिल्ली: भारत में आधार डेटाबेस की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। हफिंगटनपोस्ट की एक रिपोर्ट उस वक्त आई है। जब भारत सरकार अपने नागरिकों की पहचान के लिए आधार नंबर को अनिवार्य बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है, जिससे मोबाइल फोन के इस्तेमाल से लेकर बैंक खातों के लिए आधार नंबर जरूरी होगा।
दरअसल रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आधार के डेटाबेस में एक सॉफ्टवेयर पैच के जरिए सेंध लगाई जा सकती है। कोई भी व्यक्ति मात्र 2,500 रुपये में आसानी से मिलने वाले इस पैच के जरिए दुनिया में कहीं से आधार आईडी तैयार कर सकता है।
हफिंगटनपोस्ट ने दावा करते हुए कहा कि उसने तीन महीने की जांच के बाद इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया है। इस रिपोर्ट को तैयार करने में दुनियाभर के 5 एक्सपर्ट की मदद ली गई है। जिसमें से एक भारतीय सरकारी प्रोफेसर है। जिनका नाम उजागर नहीं किया है। रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि अभी भी इस सॉफ्टवेयर का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। दरअसल इस सॉफ्टवेयर की मदद से आधार की सिक्योरिटी फीचर को बंद किया जा सकता है और नया आधार तैयार किया जा सकता है।
व्हाट्सऐप के जरीए बेचा जा रहा सॉफ्टवेयर-
हैरान करने वाली बात यह है कि आधार कार्ड हैक करने वाला यह सॉफ्टवेयर 2,500 रुपये में व्हाट्सएप पर बेचा जा रहा है। साथ ही यूट्यूब पर भी कई वीडियो मौजूद हैं जिनमें एक कोड के जरिए किसी के भी आधार कार्ड से छेड़छाड़ हो सकती है और नया आधार कार्ड बनाया जा सकता है। इतनी बड़ी बात से भारतीय सरकार बेखौफ दिखाई दे रही है
क्या होता है सॉफ्टवेयर पैच?
पैच एक तरह का कोड सिस्टम या बंडल होता है जिसका इस्तेमाल सॉफ्टवेयर प्रोग्राम के फंक्शन को बदलने के लिए होता है। कंपनियां मौजूदा प्रोग्राम्स में आंशिक अपडेट्स के लिए भी इस पैच का इस्तेमाल करती हैं। हालांकि इनका इस्तेमाल कर नुकसान भी पहुंचाया जा सकता है, जैसा इस रिपोर्ट पर दावा किया जा रहा। दरअसल, ये पूरी रिपोर्ट इस पैच पर ही आधारित है। जिसको अभी तक हम सेफ फीचर समझ रहे थे वही अब हमारी सुरक्षा में सेंध मारने की तैयारी में है।
आप के लिए यह जानना है जरूरी
1. सॉफ्टवेयर पैच के जरिए यूजर महत्वपूर्ण सुरक्षा फीचर्स को नजरअंदाज कर सकता है, जिससे गैरकानूनी तरीके से वह आधार नंबर जनरेट कर सकता है और सेंधमारी कर सकता है।
2. ये ही नहीं यह पैच जीपीएस सुरक्षा फीचर्स को भी अक्षम बना देता है जिससे व्यक्ति की लोकेशन ट्रेस नहीं की जा सकती है। इसका मतलब यह हुआ कि पेइचिंग, कराची या काबुल ही नहीं दुनिया में कहीं से भी कोई भी इसका इस्तेमाल कर सकता है।
3. इसके अलावा इनरोलमेंट सॉफ्टवेयर की आंखों को पहचानने की संवेदनशीलता को भी पैच कमजोर कर देता है, जिससे सॉफ्टवेयर को धोखा देना आसान हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति के मौजूद न होने पर भी तस्वीरों से काम कर लिया जाता है।
फ्रांसीसी सुरक्षा विशेषज्ञ द्वारा दी गई चेतावनी-
पिछले महीने फ्रांसीसी सुरक्षा विशेषज्ञ इलियट एंडरसन ने UIDAI से सवाल किया था कि क्यों उसका हेल्पलाइन नंबर कई लोगों के फोन में उनकी जानकारी के बिना सेव हो गया। इस पर भारत में काफी विवाद हुआ था और कुछ लोगों ने इस नंबर को डिलीट भी कर दिया था। अब उन्होंने एक बार फिर कहा है कि यूआईडीएआई डेटा में सेंध को रोकने के लिए हैकर्स के साथ काम करें। उन्होंने कहा, ‘मैं दोहराता हूं कि कोई भी चीज ऐसी नहीं है, जिसे हैक न किया जा सके। यह आधार पर भी लागू होती है। कभी भी बहुत देर नहीं होती है। सुनिए और हैकर्स को धमकी देने के बजाए उनसे बात कीजिए।’
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद एक चिंता का माहौल बन गया है। क्योंकि आधार के डेटाबेस में एक अरब से ज्यादा लोगों की निजी जानकारियां और बायॉमीट्रिक्स डीटेल दर्ज हैं। इस रिपोर्ट के बाहर आते ही राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा गहराने लगा है। वहीं कांग्रेस पार्टी ने ट्विटर हैंडल से सरकार पर इस निशाना साधा है और जवाब देने को कहा है।
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