बेंगलुरू में एयर शो से पहले बड़ा हादसा होने की खबर मिला है। बताया जा रहा है अभ्यास के दौरान वायुसेना के दो सूर्यकिरण विमान आपस में टकरा गए और आग लग गई। यह हादसा येलाहंका एयरबेस पर हुआ। क्रैश हुए विमानों के पायलटों में से एक की मौत हो गई, जबकि दो पायलट जान बचाने में कामयाब हो गया।
एक नागरिक के जख्मी होने की भी खबर है। ये विमान सूर्यकिरण एयरोबेटिक्स टीम के थे। सूर्यकिरण विमान का 2011 में इस्तेमाल बंद कर दिया गया था। हालांकि, 2015 में इन्हें दोबारा वायुसेना में शामिल कर लिया गया।
मिली जानकारी के मुताबिक, विमान जिस तरह से अचानक जमीन पर आए उसे देखकर माना जा रहा है कि इनके इंजन हवा में ही बंद हो गए। जमीन पर गिरते ही इनमें आग लग गई। कुछ मलबा भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) के परिसर के पास गिरा।
क्या है सूर्यकिरण विमान का इतिहास
27 मई, 1996 में सूर्यकिरण टीम का गठन हुआ था। सूर्य किरण टीम में शामिल हवाई करतब दिखाते हैं। एक टीम में 9 विमान शामिल होते हैं। सूर्य किरण ने श्रीलंका से लेकर सिंगापुर तक 400 शो किए हैं। साल 2011 में सूर्यकिरण एयरक्राफ्ट को एयरशो से हटा दिया गया था। जिसके बाद साल 2015 में इसे फिर से शामिल कर लिया गया।
क्या है चयन प्रक्रिया
एयर फोर्स की ब्रांड एम्बेसडर बन चुकी सूर्य किरण टीम में सिर्फ 13 पायलट होते हैं। इनके चयन के मापदंड बहुत ऊंचे हैं। सिर्फ लड़ाकू फाइटर जेट उड़ाने वाले पायलट ही इसमें चुने जाते हैं। प्रत्येक पायलट को कम से कम 2000 घंटों की उड़ान का अनुभव होना अनिवार्य होता है। साथ ही 1000 घंटे तक सूर्यकिरण विमान उड़ाने का अनुभव भी होना चाहिए। सभी पायलट विमान प्रशिक्षक होने चाहिए। इस टीम में उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए होती है।
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