मुम्बई: माल एवं सेवा कर (जीएसटी), डीजल कीमतों में वृद्धि, सड़क पर उत्पीड़न को लेकर ट्रक परिचालकों की दो दिवसीय हड़ताल सोमवार से शुरू हो गई। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) ने जानकारी दी कि देशभर के 93 लाख ट्रक आपरेटर और अन्य ट्रांसपोर्टर सरकार की नीतियों की वजह से भारी घाटा उठा रहे हैं। ये सभी ट्रांसपोर्टर दो दिवसीय हड़ताल पर हैं।
समाचार एंजेसी भाषा के मुताबिक, एआईएमटीसी के चेयरमैन बाल मलकीत सिंह ने कहा, देशभर के ट्रांसपोर्टर जीएसटी, ऊंची डीजल कीमतों, सड़क पर ट्रक परिचालकों का उत्पीड़न, भ्रष्टाचार और टोल नीतियों की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके विरोध में दो दिवसीय चक्का जाम (हड़ताल) सोमवार सुबह से शुरू हो गया है।
सिंह ने दावा किया कई अन्य ट्रक परिचालक संगठनों ने भी हड़ताल का समर्थन किया है। हड़ताल से अगर आम लोगों को असुविधा होती है तो इसके लिये सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने आगे कहा कि यह सिर्फ सांकेतिक हड़ताल है, अगर सरकार ने आवश्यक कदम नहीं उठाए तो दिवाली के बाद हम अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान करेंगे। उन्होंने कहा कि देशभर के 93 लाख ट्रक आपरेटर और अन्य ट्रांसपोर्टर सरकार की दमघोंटू नीतियों की वजह से भारी घाटा उठा रहे हैं और उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं। ये सभी ट्रांसपोर्टर आज हड़ताल पर हैं।
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मध्य प्रदेश में 23,000 ट्रकों के चक्के थमे:
जीएसटी की विसंगतियों और डीजल की बढ़ी कीमतों को लेकर ट्रांसपोर्टरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का मध्य प्रदेश में खासा असर देखा गया। ट्रक परिचालकों के शीर्ष संगठन ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने यह हड़ताल दो दिन के लिए बुलाई है।
मध्य प्रदेश मोटर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष परविंदर सिंह भाटिया ने बताया, हड़ताल के कारण मध्य प्रदेश के कुल 25,000 ट्रकों में से 23,000 ट्रक रोक दिए गए हैं। खाने-पीने की चीजों और अन्य जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति के लिए करीब 2,000 ट्रक चलाए जा रहे हैं, ताकि आम लोगों को त्योहारों के दौरान परेशानी न हो।
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भाटिया ने कहा कि दो दिवसीय हड़ताल से सूबे में करीब 400 करोड़ रुपये का ट्रांसपोर्ट कारोबार ठप पड़ने का अनुमान है। उन्होंने मांग की कि डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए, क्योंकि अलग-अलग राज्यों में इस ईंधन की अलग-अलग कीमतों के कारण ट्रांसपोर्टरों को खासी परेशानी हो रही है। भाटिया ने कहा, मध्य प्रदेश में राज्य सरकार डीजल पर ऊंची दर से मूल्य संवर्धित कर (वैट) और अन्य कर वसूलती है। सूबे में मिलने वाला डीजल अन्य राज्यों के मुकाबले काफी महंगा है जिससे हमें कारोबार में वित्तीय मुश्किलें हो रही हैं।
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