सुप्रीम कोर्ट को भेजा खून से लिखा खत, कहा तीन तलाक हो हलाक

0
345

इलाहाबाद कोर्ट ने तीन तलाक की सुनवाई करते हुए बताया कि तीन तलाक भारतीय संविधान के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा मुस्लिम महिलाओं पर किया जानें वाला एक तरह का जुल्म है। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया ही कि इस फैसले पर कई प्रतिक्रिया आने भी शुरू हो गई। जिसका एक नूमना हाल ही में मध्यप्रदेश में देखने को मिला।

मध्य प्रदेश के देवास जिले की मुस्लिम महिला शबाना ने कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को अपने खून से खत लिखकर इंसाफ मांगा था। पत्र को पेन से लिखकर महिला ने खत पर अपनी ऊंगली से खून निकालकर खून के धब्बे (निशान) छोड़ दिए थे।

तीन तलाक ने बर्बाद की जिंदगी

दतोत्तर गांव की रहने वाली शबाना शाह की जिंदगी को तीन तलाक ने बर्बाद कर दिया। पति के खिलाफ प्रताड़ना का केस कराने के बाद अब उसने चीफ जस्टिस को खून से सना खत लिख कर अपनी और 4 साल की बेटी तहजीब की जिंदगी को बदतर बनाने वाले मुस्लिम तलाक कानून को रद्द करने की गुहार लगाई।

ऐसे में शबाना शाह ने सर्वोच्च न्यायालय से ऐसे कानून को रद्द कर समान नागरिकता की वकालत की है। शबाना का कहना है कि वह ऐसे किसी कानून को नहीं मानती, जिसने उसकी और बेटी की जिंदगी को बर्बाद कर दी। शबाना ने खत में लिखा है कि यदि उसे इंसाफ नहीं मिलता है तो उसे अपनी मासूम बेटी के साथ आत्महत्या करने की इजाजत दी जाए।

10वीं तक शिक्षित और नर्सिंग का कोर्स कर चुकी शबाना का यह भी आरोप है कि पति टीपू शाह और ससुराल पक्ष उसे दहेज के नाम पर प्रताड़ित करते थे। दतोत्तर निवासी शबाना का विवाह देवास की हाटपीपल्या तहसील के महुंखेड़ा गांव के टीपू शाह से मई 2011 में मुस्लिम रीति-रिवाज से हुआ था। वह नर्स बनकर नौकरी करना चाहती थी लेकिन ससुराल वाले उसे खेत पर काम करने के लिए मजबूर करते थे। वह सारी प्रताड़ना झेलती रही लेकिन तीन तलाक कहकर पति ने सारे रिश्ते तोड़ दिए और फिर दूसरा निकाह भी कर लिया।

shabana_letter

शबाना की सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी

‘श्रीमान,

मेरी शादी मुस्लिम रीति-रिवाज के अनुसार 25 मई 2011 को टीपू शाह से महुंखेड़ा, हाटपीपल्या में हुई थी। मेरी चार साल की एक लड़की भी है, जिसका नाम तहजीब है। मेरे पति टीपू शाह ने मुझे शारीरिक, मानसिक रूप से परेशान कर तीन बार तलाक-तलाक-तलाक कहकर मुझे तलाक दे दिया।

पति ने कहा कि तुम मुझे पसंद नहीं हो और उसके बाद मेरे पति ने 19 नवम्बर 2016 को दूसरी शादी कर ली। यह मेरी लड़ाई और मेरी बच्ची और ऐसे कई बच्चों की है, जिन्हें इस तरह से छोड़ दिया जाता है। क्या पर्सनल लॉ ने मुझे बेटी होने की सजा दी है। मैं ऐसी जिंदगी से हताश हो चुकी हूं और मैं अपने मां- बाप पर बोझ नहीं बनना चाहती।

मैं ऐसी जिंदगी नहीं जीना चाहती, जो मौत से भी बदतर हो। मौत तो एक बार आती है और ऐसी मौत मैं हर रोज मरती हूं। ऐसे पर्सनल लॉ के तीन तलाक वाले कानून को रद्द किया जाए और मुझे न्याय दिलाया जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो मुझे और मेरी बच्ची को आत्महत्या करने की इजाजत दी जाए।

नोट- यह पत्र मैं अपने खून से लिख रही हूं- शबाना शाह

पति ने किया आरोपों से इनकार

तीन तलाक पर खून से सने पत्र लिखने पर शबाना के पति टीपू शाह का बयान भी सामने आया। टीपू ने कहा कि मुस्लिम परंपराओं के तहत ही तलाक का नोटिस दिया गया था। लेकिन शबाना एक भी सुनवाई के लिए नहीं पहुंची। मैं बच्ची को रखना चाहता हूं और उसके लिए प्रयास भी करूंगा।

(खबर कैसी लगी बताएं जरूर। आप हमें फेसबुक और ट्वीटर पर फॉलो भी कर सकते हैं।)