स्वच्छता अभियान की खुली पोल, शौचालय बना रसोईघर

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मध्यप्रदेश: वैसे तो तस्वीर को देखकर हकीकत साफ हो गई लेकिन फिर भी हम आपको पता दें यह तस्वीर मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के गांव की है। जहां शौचालय रसोईघर बन चुका है। यह सिर्फ अकेली तस्वीर नहीं है जो सरकार के स्वच्छता अभियान के तहत बने शौचालयों की पोल खोल रही है। बल्कि ऐसी ही कई और तस्वीरें भी हैं जिनमें लोग शौचायल का इस्तेमाल शौच की बजाए कुछ अन्य कामों के लिए किया जा रहा है।

छतरपुर जिले के कोदां गांव में दिनेश यादव ने अपने शौचायल को रसोईघर में तब्दील कर रखा है क्योंकि शौचालय के लिए सेफ्टिक टैंक का निर्माण नहीं कराया गया था। दिनेश की पत्‍नी सुशीला ने मीडिया को बताया कि शौचायल के लिए पैसा तो उनके खाते में आया है लेकिन गांव के प्रधान ने इस शौचायल का निर्माण कराया है। खाते में पैसा आने के बाद प्रधान ने उनसे सारी रकम ले ली थी और सरपंच ही उनके शौचालयों का निर्माण कराता है। उन्होंने बताया कि घर में शौचालय बनने के बाद भी वह बाहर ही शौच के लिए जाती हैं। उनके घर के सदस्यों को अब भी शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है।

वहीं छतरपुर शहर में लक्षण कुशवाहा नाम के मजदूर ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत बने अपने शौचालय में किराना स्टोर खोल लिया है। बताया जा रहा है कि ठेकेदार सही से सेफ्टिक टैंक नहीं बनवाया जिससे उन्होंने अब शौचालय में दुकान खोल ली है। लक्षण की बेटी नीलम ने बताया कि ठेकेदार ने जो टैंक बनवाया वह बहुत ही छोटा था और ठीक से बनाया भी नहीं गया था। उन्होंने कहा कि इस बारे में अधिकारियों से शिकायत भी की थी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

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मामले में जब संवाददाता ने इलाके के अतिरिक्त जिलाधिकारी से बात की तो उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच कराई जाएगी लोगों ने शौचायल में दूकान कैसे खोल ली और शौच का इस्तेमाल करने की बजाए लोगों ने इसे रसोईघर कैसे बना लिया। वहीं सोशल मीडिया फाउंडेशन नामके एनजीओ आरोप लगाया है कि समग्र स्वच्छ अभियान तहत बनाए शौचालय में भारी हेराफेरी हुई यही कारण है शौचालय के नाम सिर्फ नमूना बना दिए गए हैं।

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