तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण शिविर का समापन, आयुर्वेद के महत्व पर जोर

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हनुमानगढ़ टाउन में शुक्रवार, 10 जनवरी 2025 को श्री अरोड़वंश धर्मशाला में आयुर्वेद विभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण शिविर का समापन हुआ। यह शिविर 8 जनवरी से 10 जनवरी 2025 तक चला और इसमें आयुर्वेदिक ज्ञान व स्वास्थ्य से जुड़ी नई तकनीकों पर विशेष प्रशिक्षण दिया गया। समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आयुर्वेद विभाग के उपनिदेशक डॉ. रामप्रताप और सहायक निदेशक डॉ. महावीर प्रसाद उपस्थित थे। इस अवसर पर विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, प्रशिक्षक, और प्रशिक्षणार्थी भी शामिल हुए। समापन समारोह के दौरान, मुख्य अतिथियों ने आयुर्वेद विभाग की योजनाओं और इसके उपयोग से होने वाले लाभों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि किस तरह आयुर्वेदिक उपायों और घरेलू नुस्खों के माध्यम से मौसमी बीमारियों से राहत प्राप्त की जा सकती है। आने वाले समय में आयुर्वेद को बढ़ावा देने के महत्व पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि यह पद्धति न केवल रोगों का इलाज करती है, बल्कि शरीर और मन के समग्र स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देती है। इस अवसर पर प्रशिक्षकों में शामिल डॉ. आशा यादव, डॉ. दीप्ति सिंगला, और डॉ. संदीप कुमार ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए। उन्होंने आयुर्वेद के विभिन्न पहलुओं जैसे घरेलू उपचार, पंचकर्म की विधि, और प्राकृतिक औषधियों के उपयोग पर विस्तार से जानकारी दी। डॉ. दीप्ति सिंगला ने कहा, आयुर्वेदिक उपचार की प्राचीन विधियां आज के समय में बेहद प्रासंगिक हैं और आधुनिक जीवनशैली की चुनौतियों का समाधान प्रदान करती हैं।
तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण शिविर का उद्देश्य आयुर्वेद की विधियों और तकनीकों को बेहतर ढंग से समझाना और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना था। शिविर में 129 आयुष्मान आरोग्य मंदिर परिक्षेत्र के आयुर्वेद नर्स, कंपाउंडर, एएनएम (ऑक्सिलरी नर्स मिडवाइफ), और आशा सहयोगिनी ने भाग लिया। शिविर में शामिल प्रशिक्षणार्थियों को विभिन्न आयुर्वेदिक तकनीकों और औषधियों की जानकारी दी गई। इसके साथ ही, उन्हें मरीजों को प्राथमिक उपचार देने के लिए आवश्यक कौशल भी सिखाए गए। शिविर के दौरान, प्रशिक्षणार्थियों के लिए रहने और खाने की व्यवस्था आयुर्वेद विभाग द्वारा की गई थी।
समापन समारोह में प्रशिक्षणार्थियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथियों ने प्रशिक्षणार्थियों के प्रयासों और उनकी सीखने की उत्सुकता की सराहना की। इस मौके पर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रशिक्षणार्थियों से आग्रह किया कि वे अपने अनुभवों और ज्ञान को अपने-अपने क्षेत्रों में लागू करें और आयुर्वेद को जन-जन तक पहुंचाने में योगदान दें। समारोह में आयुर्वेद विभाग के अधिकारी ओम प्रकाश सहारण, देवकरण, पवन पारीक, और रवि प्रकाश शर्मा भी उपस्थित थे।
उन्होंने शिविर के आयोजन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अतिरिक्त, एएनएम सुमन, प्रमिला, आशा, सरोज बाला, रेणू, सोनी, निर्मला, कलावंती, सुंदर, और गीता देवी जैसे प्रशिक्षक भी शिविर में शामिल हुए। प्रशिक्षकों ने प्रशिक्षणार्थियों को आयुर्वेदिक चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी और उन्हें जटिल चिकित्सा स्थितियों में आयुर्वेदिक समाधान खोजने के लिए प्रेरित किया। प्रशिक्षकों ने कहा कि आयुर्वेदिक उपचार प्राकृतिक, सुरक्षित, और प्रभावी होते हैं, और इन्हें अपनाकर दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं को रोका जा सकता है। पवन पारीक ने कहा कि आयुर्वेद न केवल उपचार का माध्यम है, बल्कि यह एक जीवनशैली है, जो मानव शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करती है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रशिक्षण शिविर से न केवल प्रतिभागियों को लाभ हुआ, बल्कि यह क्षेत्रीय स्तर पर आयुर्वेद की लोकप्रियता बढ़ाने में भी मददगार साबित होगा।

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