जब तक क्रांति नहीं तब तक शांति नहीं : त्रयम्बकेश्वर चैतन्य महाराज

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संवाददाता भीलवाड़ा। बाल ब्रह्मचारी अनन्त विभूषित त्रयम्बकेश्वर चैतन्य महाराज ने कहा कि जब तक क्रांति नहीं होती तब तक शांति नहीं होती है । युद्ध मनुष्य की विकृत मानसिकता का परिणाम है। संत श्री गुरुवार को हरिशेवा धाम उदासीन आश्रम सनातन मंदिर में प्रवचन दे रहे थे। संत श्री ने कहा कि नवग्रहों के प्रभाव से कोई वंचित नहीं है। धर्म के क्षेत्र में सरकार व शासन का अधिक हस्तक्षेप उचित नहीं है। सत्ता केवल अपने शासन के स्तंभों को जीवित रखना चाहती है। ज्योतिष वह महत्वपूर्ण गणना है जिसके आधार पर सनातन धर्म जीवित रहता है। पितरों की प्रसन्नता के लिए अमावस्या व देवताओं की प्रसन्नता के लिए पूर्णिमा है। भगवान शंकर को एकादशमी व गणेश को चतुर्थी पसन्द है। अपनी संगति अच्छे लोगो में रखो। अच्छा काम मत करो मन्दिर मत जाओ लेकिन अच्छे लोगो के संपर्क में रहो। मनुष्य को प्रसन्नता प्राप्त करने में कठिनाई बहुत है। वह प्रसन्न होना ही नहीं चाहता है केवल नाटक करता है। प्रवचन से पूर्व हरी सेवा धाम उदासीन आश्रम सनातन मंदिर में प्रवेश करते समय महाराज श्री ने भगवान रामचंद्र के चित्र पर पुष्प अर्पित किए। राम प्रकाश पोरवाल ने महाराज श्री को 5-8- 20 तिथि अंकित नोट को तस्वीर में जड़ाकर भेंट किया। कार्यक्रम प्रवक्ता रजनीकांत आचार्य ने बताया कि उनके द्वारा 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर भूमि पूजन का स्मरण कराते हुए 1 वर्ष पूर्ण होने पर सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं दी गई। 6 दिसंबर 1992 बाबरी मस्जिद ढांचे को गिराने की घटना भी बताई और कहा कि 5 अगस्त 2020 तिथि सनातन धर्म वर्ग से स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। कार्यक्रम के प्रारंभ मेंं नारायण स्वामी महाराज ने कहा कि मनुष्य जीवन जीविका के लिए नहीं मिला है। आयोजक परिवार के राधेश्याम अग्रवाल ने बताया की हरिशेवा धाम उदासीन आश्रम सनातन मन्दिर में महामंडलेश्वर हंसराम उदासीन महाराज के सानिध्य में प्रवचन प्रतिदिन अपराह्न 3 से शाम 5 बजे तक चल रहे है। प्रवचन का फेसबुक पर सीधा व यूट्यूब पर शाम को प्रसारण किया जा रहा है। संयोजक परिवार के कृष्णगोपाल, छीतरमल व प्रह्लाद अग्रवाल ने बताया की संत श्री के साथ दंडी स्वामी प्रबोधाश्रम महाराज, नृसिंह भारती महाराज, आचार्य हरि ओम महाराज, स्वामी नारायण महाराज, ब्रह्मचारी देवेश महाराज भी ज्ञान गंगा बहा रहे हैं। महाराज श्री का स्वागत श्याम-सुशीला बाहेती, चांदमल- शांता बाहेती, भागचंद सावित्री बाहेती, बंशीलाल डीडवानिया रिटायर्ड जिला शिक्षा अधिकारी, गोविंद लड्ढा, जसवंत भाई आदि ने किया।

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