संवाददाता भीलवाड़ा। मेवाड़ के एतिहासिक धार्मिक स्थल भगवान श्रीचारभुजानाथ कोटड़ी के जलझूलनी एकादशी पर बेवाण निकालने की स्वीकृति की मांग के बावजूद प्रशासन के द्वारा भक्तों की आस पर उस समय पानी फिर गया जब बुधवार को प्रतिनिधि मण्डल को दिए आश्वासन के बाद जिले कलेक्टर शिवप्रसाद एम नकाते एवं पुलिस अधीक्षक प्रीति चन्द्रा के कोटड़ी पंहुच भगवान चारभुजानाथ के दर्शन करने तथा बेवाण के रास्ते का मौका देख कर ट्रस्ट से विचार विमर्श करने के लिए नहीं पंहुचे। जिससे भक्तों की तैयारियों पर ही विराम लग गया। साथ ही श्रीचारभुजा मन्दिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने भी प्रशासन को लिखित में सूचना दे दी कि मन्दिर में किसी प्रकार का आयोजन नहीं होगा। इससे भक्तों के द्वारा भगवान को जलझूलन कराने की परंपरा को कायम रखने के लिए किए प्रयास ही असफल हो गए। हालांकि मन्दिर ट्रस्ट ने श्रीचारभ्राुजानाथ मन्दिर पर आकर्षक रोशनी तथा पूष्पों से सजाया गया है। वहीं पुजारियों ने भी जलझूलनी एकादशी पर शनिवार को श्रीचारभुजानाथ की वर्षो पुरानी परंपरा को लेकर बेवाण व आभूषणों की सफाई व सजाने के सामान तथा भगवान को धारण कराने वाली पोषाक आदि को तैयार करलिया है। परन्तु प्रशासन की सख्ती के चलते मन्दिर प्रांगण में ही भगवान को पोषाक धारण कराई जाएगी। कस्बे के सभी देवालय लाईट की चकाचोंध से जगमगाते नजर आ रहे है। प्रतिवर्ष होने वाले मुख्य बाजार में रोशनी तथा अनेकों आयोजनों पर कोरोना महामारी का दंश लगने के कारण ट्रस्ट द्वारा सभी कार्यक्रम निरस्त कर दिए जाने से भक्तों के चेहरे मुर्जाए दिखाई दे रहे है। पुजारियों का कहना है कि भगवान जलझूलन पर नहीं निकलेंगे परन्तु वर्ष में एक बार किसान के वेश धारण करने वाली सूती टूल की पोषाक को धारण कराने के लिए गांव के पटेल ने कपड़ा दे कर दर्जी द्वारा हाथ से सिलाई कर भगवान के चीरणों में भेट की है जिसे कल धारण कराई जाएगी।
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