नई दिल्ली: देश की अदालतों में जजों की कमी और पेंडिंग मामले अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। लेकिन कई मामले ऐसे होते हैं, जो कोर्ट का वक्त बर्बाद करते हैं। ऐसे ही एक मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कोई अमृतधारा दवा नहीं, जो हर समस्या का इलाज कर दे। ऐसे मामलों के बावजूद पिछले 5 साल में सुप्रीम कोर्ट ने काफी तेजी से मामले निपटाए हैं।
‘इंडियन ज्यूडिशियरी: एन्यूअल रिपोर्ट 2015-16′ के मुताबिक शीर्ष कोर्ट ने 2011 से 2016 के बीच 3,78,363 मामलों का निपटारा कर दिया। 2016 में जनवरी से सितंबर तक 9 महीनों में 57 हजार से ज्यादा मामले निपटाए गए। सितंबर 2015 से अगस्त 2016 के बीच तो 79,684 मामले निपटाए। पिछले साल सिर्फ 9 महीने में निपटाए 57,720 क्रिमिनल और सिविल मामले।
जून की तुलना में जुलाई में मामले 4 गुना बढ़े, तो निपटारे की स्पीड 11 गुना तक बढ़ गई
सुप्रीमकोर्ट ने जनवरी-सितंबर के दौरान 57,722 मामले निपटाए। नए मामलों और निपटारे में सबसे ज्यादा अंतर जून-जुलाई में रहा। जून में 1,871 मामले आए, जबकि निपटारा 843 का हुआ। जून की तुलना में जुलाई में मामले 4 गुना बढ़े, तो निपटारे की स्पीड 11 गुना बढ़ गई।
काम में तेजी के लिए बनाई गई विशेष बेंच
- 2016 मेंचीफ जस्टिस ने तीन जजों वाली 6 विशेष बेंच गठित की। जनवरी से अगस्त के बीच 100 से ज्यादा मामलों का निपटारा कर दिया।
- 20सालमें पहली बार एंट्री टैक्स से जुड़े 1240 मामलों की सुनवाई के लिए 9 सदस्यीय बेंच बनाई।
- पहलीबारसर्दी-गर्मी की छुट्टियों में सुनवाई के लिए विशेष बेंच। गर्मी की छुट्टी में बनी बेंच ने 16 मई से 28 जून के बीच 370 मामले निपटाए।
- सुप्रीमकोर्टमें पहली बार पांच जजों वाली दो संवैधानिक बेंच बनी। अगस्त 2016 तक 10 केस निपटाए।
- टैक्सऔरबेल से जुड़े मामलों के लिए विशेष बेंच बनाई गई। 30 अगस्त तक टैक्स के 112 और बेल से जुड़े 119 मामलों का निपटारा किया गया।
14 हाईकोर्ट ने एक साल में निपटाए 13.62 लाख मामले
- मुंबई, कलकत्ता, मद्रास समेत 14 हाईकोर्ट ने 1 जुलाई 2015 से 30 जून 2016 तक 13,62,727 मामले निपटाए।
- सबसे ज्यादा मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निपटाए। सबसे ज्यादा पेंडिंग भी यहीं।
ज्यूडिशियरी के लिए बजट का 1% से भी कम हिस्सा
2017-18के बजट में ज्यूडिशियरी के लिए 1,744.13 करोड़ रुपए का प्रावधान है, जो कुल बजट के 1% से भी कम है। इसमें जस्टिस डिलीवरी,, लीगल रिफॉर्म्स, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट शामिल हैं।
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