आत्मा अजर-अमर है, केवल शरीर बदलती है-साध्वी चंदनबाला

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संवाददाता भीलवाड़ा। आत्मा अजर-अमर है, केवल शरीर बदलती है-साध्वी चंदनबालाआत्मा अविनाशी है, यह अजर अमर है, एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर मे प्रवेश कर जाती है। आत्मा का जितना शुद्धिकरण होगा उतना जीवन वर्तमान और भविष्य का अच्छा होने वाला है। जैन धर्म किसी चीज को अपनाने के लिए विवश नही करता है, अपने विवेक को जागृत करो और स्वयं मनन करो कि क्या सही है और क्या गलत है उक्त विचार तपाचार्य साध्वी जयमाला की सुशिष्या साध्वी चंदनबाला ने महावीर भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किये। साध्वी ने कहा कि भगवान महावीर ने जो 5 महाव्रत जानबूझकर हिंसा नही करना, झूठ नही बोलना,चोरी नही करना, परस्त्रीगमन नही करना,आवश्यकता से अधिक का संग्रह नही करना इनको जीवन मे उतारे। हर चीज की मर्यादा होती है , मर्यादा में रहकर ही कार्य करे। मन , वचन, काया पर नियंत्रण करना ही संयम है। व्यक्ति में जो अच्छाई है उसको देखे , बुराई को नही। गृहस्थ धर्म मे किसी का बुरा मत सुनो, बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो जो अच्छी चीजें है उनको ग्रहण करो इन छोटे छोटे व्रत का पालन करने से व्यक्ति का कल्याण हो जाता है। साध्वी आनन्दप्रभा ने कहा कि पाप का मार्ग पतन का मार्ग है। हिंसा, चोरी, कपट, व्यभिचार ये पाप की श्रेणी में आते है, हम इनसे बचे रहे ताकि भव – भवान्तर में भटकने से बचें रहे। जिस देश मे हम रहते है वहा के मान -सम्मान, गौरव, संस्कारो को ध्यान में रखते हुए अपनी वेशभूषा, आभूषण, तथा भोजन का विवेक रखे। हमारे जीवन का कोई भी कार्य हमारी संस्कृति, धर्म, नैतिकता के विरुद्ध नही होना चाहिए। जीवन मे आलस्य को दूर भगावे, फालतू के कामो में अपना कीमती समय बर्बाद नही करे। स्वयं को सदैव एक्टिव रखे, योगासन करे,स्वयं को मोटिवेट करते हुए अपनी सोच पॉजिटिव रखे। साध्वी सुरभिश्री ने प्रार्थना सभा मे भक्तामर के पाठ का वाचन करवाया। तपस्वी बहिन श्रीमती सुधा राजेंद्र रांका ने आज 10 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। बाहर से आये आगन्तुको का संघ की और से स्वागत किया गया।

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