कॉपी किताबों की उम्र में हाथों में थमा दिया रिक्शा, बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने की समझाइश

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हनुमानगढ़। जिस उम्र में बच्चों के हाथों में काॅपी किताब होनी चाहिए उस उम्र में घर की जिम्मेवारियों को पूरा करने के लिये सैकड़ों बच्चे बालश्रम कर रहे है। ऐसे मामले रोजाना गली गली में देखने को मिलते है, परन्तु अब बाल कल्याण समिति ने इस संबंध में सख्त कदम उठाने शुरू कर दिये है। मंगलवार को बाल कल्याण समिति के सदस्य विजय सिंह चौहान, समिति सदस्य प्रेमचंद शर्मा व सुमन सैनी ने बाल श्रम कर रहे चार बच्चों को पाबंद किया। बाल कल्याण समिति के सदस्य विजय सिंह चौहान ने बताया कि शहर के जागरूक नागरीकों द्वारा समिति सदस्यों को सुचना मिली की कुछ बच्चे घर घर जाकर रिक्शे की सहायता से कबाड़ का सामान इक्ट्ठा कर रहे है। समिति सदस्य पर मौके पर पहुचे तो बच्चों के साथ हुई वार्ता में बच्चों ने बताया कि उनके पिता की तबीयत खराब है व माता घरों में जाकर साफ सफाई का काम करते है। लाॅकडाउन लगने के बाद बच्चें भी स्कूल नही गये और घर की जिम्मेवारी के चलते वे यह कार्य कर रहे है। समिति के सदस्यों ने बच्चों की हालत को समझते हुए उनके परिवार के सदस्यों के साथ समझाईश की व बच्चों से बाल श्रम न करने की अपील की। बच्चों के माता पिता ने बताया कि दो समय की रोटी के लिये व बच्चों की शिक्षा के खर्चे के लिये यह कार्य कर रहे है। जिस पर समिति सदस्य विजय सिंह चौहान , प्रेमचंद शर्मा, सुमन सैनी ने तुरन्त प्रभाव से सामाजिक संगठनों से वार्ता कर भोजन की व्यवस्था करवाने का अश्वासन दिया व उक्त सभी बच्चों को बिना किसी खर्चे के शिक्षा से जोड़ने का बीड़ा उठाया व राजस्थान के यशस्वी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा बच्चों के लिये चलाई जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने की अपील की। समिति सदस्य प्रेमचंद शर्मा व सुमन सैनी ने बताया कि बालश्रम हमारे समाज के लिये अभिशाप बन गया है और इस अभिशाप के लिये प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अत्यधिक चिंतित है और इस अभिशाप को समाज से खत्म करने के लिये बाल अधिकारों के संरक्षण एवं बाल श्रम की रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने कई कदम उठाए हैं। कोरोना महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों के लिए राज्य सरकार ने विशेष पैकेज जारी किया है। उन्होने कहा कि प्रदेश के हर बच्चे को बेहतर शिक्षा एवं स्वास्थ्य उपलब्ध हो इसके लिए राज्य सरकार ने 100 करोड़ रूपए का ‘नेहरू बाल संरक्षण कोष’ बनाया है। इस कोष के तहत बच्चों के पालन-पोषण के लिए वात्सल्य योजना एवं बाद में उनकी देखरेख के लिए समर्थ योजना लागू की गई है। समिति उक्त सभी योजनाओं के प्रचार प्रसार के साथ साथ इनका लाभ आमजन को दिलाने में प्रयासरत है।

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